
क्रॉनिक पेल्विक पेन (पेट के निचले भाग में कई दिनों से जारी दर्द) एक ऐसा रोग है, जो हर पांच में से एक महिला को पीडि़त कर सकता है। दूसरे शब्दों में कहें, तो क्रॉनिक पेल्विक पेन एक ऐसा दर्द है, जो पीडि़त महिला की सामान्य दिनचर्या में बाधा डालता है। इस कारण वे सामान्य जीवन जीने में दिक्कत महसूस करती हैं।
दर्द का स्वरूप: यह दर्द पेट के निचले भाग में लगातार या रुक-रुक कर हो सकता है। यह स्थिति आम तौर पर कम से कम पिछले छह महीने से जारी रह सकती है।
ये है कारण: महिलाओं में क्रॉनिक पेल्विक पेन का एक प्रमुख कारण अक्सर स्त्री रोगों से संबंधित होता है। जैसे इंडोमीट्रियोसिस, एडीनोमाईओसिस और अंडाशय में सिस्ट के कारण भी यह दर्द संभव है। इसके अलावा
पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम (जिसमें गर्भाशय की नसें बहुत बड़ी हो जाती हैं), रसौली (फाइब्राइड), गर्भाशय का इंफेक्शन, यूरीनरी ब्लैडर में पथरी और आंतों में इंफेक्शन के कारण भी क्रॉनिक पेल्विक पेन संभव है। इस रोग में अलग-अलग प्रकार के दर्द हो सकते हैं। यह दर्द माहवारी से संबंधित हो सकते हैं या नहीं भी हो सकते।
नवीनतम उपचार: क्रॉनिक पेल्विक पेन के इलाज में सिर्फ दर्द के लक्षणों का ही इलाज नहीं किया जाता है बल्कि रोग के बुनियादी कारणों का भी इलाज किया जाता है। किसी अच्छे अस्पताल में कुशल लैप्रोस्कोपिक सर्जन के द्वारा लैप्रोस्कोपी (दूरबीन विधि) की मदद से महिलाओं के रोगग्रस्त या विकारग्रस्त भाग को निकाल दिया जाता है ताकि पीडि़त महिला दर्दरहित होकर स्वस्थ व सामान्य जिंदगी जी सके।
इलाज के फायदे
क्रॉनिक पेल्विक पेन की समस्या को दूर करने में ओपन सर्जरी की तुलना में दूरबीन विधि (लैप्रोस्कोपी) से इलाज कराना कहीं ज्यादा बेहतर है। ऐसा इसलिए क्योंकि…
– दूरबीन विधि में छोटे से छोटा रोगग्रस्त भाग बड़ा दिखता है। परिणामस्वरूप दूरबीन विधि की मदद से इस रोगग्रस्त भाग को कहीं ज्यादा बेहतर ढंग से निकाला जा सकता है, जबकि यह बात ओपन सर्जरी में संभव नहीं हो पाती।
– ओपन सर्जरी के अंतर्गत 10 सेमी. का चीरा लगाया जाता है, जबकि दूरबीन विधि के तहत सिर्फ एक सेमी. का चीरा लगाया जाता है।
– पीडि़त महिला को एक दिन के लिए अस्पताल में रहना पड़ता है, जबकि ओपन सर्जरी में उसे पांच से छह दिनों के लिए रहना पड़ता है।
– ओपन सर्जरी में रक्त का नुकसान लगभग 500 एमएल. तक होता है। इसलिए सर्जरी के दौरान पीडि़त महिला को रक्त चढ़ाने की आवश्यकता पड़ सकती है। वहीं दूरबीन विधि में 50 से 100 एम.एल. तक रक्त का नुकसान होता है।
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