सर्वोच्च न्यायलय द्वारा राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद पर दिए गए एतिहासिक फैसले के बाद ऐसा लगा था कि कई सालों से चले आ रहे इस विवाद का अब एक निश्चित हल मिल गया है| लेकिन फिर से एक बार इस विवाद को मुस्लिम पक्षकारों द्वारा पुनः जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है|
जमियत उलेमा-ए-हिन्द द्वारा सर्वोच्च नयायालय के उस एतिहासिक फैसले पर सवाल उठाते हुए पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दि गयी है | इसके अलावा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का भी कहना है की वो भी 9 दिसम्बर से पहले पुनर्विचार याचिका दाखिल कर देंगे|
मुस्लिम पक्षकारों ने सर्वोच्च न्यायलय के फैसला सुनाने के बाद से ही इसपर आपत्ति व्यक्त करना प्रारंभ कर दिया था | उनका कहना था कि कोर्ट में उनके द्वारा पक्षों को उचित स्थान नहीं दिया गया और वे लोग इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं | अब देखना है कि कोर्ट का इस पुनर्विचार याचिका को लेकर क्या फैसला होता है|
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