हिन्दी फिल्मों की गुजरे जमाने की अदाकारा और ट्रेजडी क्वीन के नाम से मशहूर मीना कुमारी के 85वे जन्मदिन पर गूगल ने उनका डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। मीना कुमारी सीरीयस रोल में अपनी अदाकारी से जान फूंक दिया करती थी। गम भरे सीन मे अपनी अदाकारी से वह दर्शकों को रोने पर मजबूर दिया करती थीं। 1 अगस्त, 1933 को जन्मी मीना कुमारी का असली नाम महजबीं बानो था। अभिनेत्री होने के साथ-साथ मीना कुमारी एक शायारा एवं पाश्र्वगायिका भी थीं। मीना कुमारी के पिता का नाम अली बक्श था। अली बक्श पारसी स्टेज के एक जाने माने कलाकार थे। मीना कुमारी की मां का नाम प्रभावती था।
मीना कुमारी ने बाल कलाकार के रूप में अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की थी। मीना कुमारी ने निर्देशक विजय भट्ट की फिल्म लैदरफेस जो 1939 में प्रदर्शित हुई थी, से अपने करियर की शुरुआत की थी। विजय भट्ट ने ही उन्हें मीना नाम दिया था। इस तरह महजबीं से मीना कुमारी बन गईं। 1946 में आई फिल्म बच्चों का खेल से बेबी मीना 13 वर्ष की आयु में मीना कुमारी बनीं। इस फिल्म के बाद से महजबीं मीना कुमारी के नाम से मशहूर हो गईं। 1952 में आई फिल्म बैजू बावरा से मीना कुमारी ने लीड एक्ट्रेस के रूप में अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की। मीना कुमारी को इस फिल्म से बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवार्ड मिला।
मीना कुमारी ने इसके अलावा दायरा, दो बीघा ज़मीन, परिणीता, चांदनी चौक (1954) एक ही रास्ता (1956) अद्ल-ए-जहांगीर (1955) और हलाकू (1956) जैसी फिल्मा में काम किया। मीना कुमारी ने मशहूर फिल्मकार कमाल अमरोही से शादी की थी।
लेकिन, विवादों के चलते मीना कुमारी पति कमाल अमरोही से अलग हो गईं। लेकिन, फिर भी मीना कुमारी ने कमाल अमरोही निर्देशित पाकीजा में काम किया। उनकी पाकीजा में निभाई गई भूमिका हमेशा के लिए यादगार बन गई। फिल्म में मीना कुमारी ने एक तवायफ का किरदार निभाया था।
फि़ल्म पाक़ीज़ा के रिलीज़ होने के तीन हफ़्ते बाद मीना कुमारी की तबीयत बिगडऩे लगी। 28 मार्च 1972 को उन्हें बम्बई के सेंट एलिज़ाबेथ अस्पताल में दाखिल करवाया गया। 31 मार्च 1972, दोपहर 3 बजे 38 वर्ष की आयु में मीना कुमारी ने अंतिम सांस ली। मीन कुमारी को बम्बई के मजग़ांव स्थित रहमताबाद कब्रिस्तान में दफनाया गया था।
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