डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहे रुपये से रिजर्व बैंक के सामने इंपोर्टेड इंफ्लेशन का खतरा मंडरा रहा है। इसको देखते हुए केन्द्रीय रिजर्व बैंक एक बार फिर ब्याज दरों में इजाफा करने का फैसला कर सकता है। रिजर्व बैंक लगातार बढ़ती महंगाई और सुधार की दिशा में बढ़ती अर्थव्यवस्था में बैलेंस बनाने के लिए यह फैसला ले सकती है। रिजर्व बैंक अपनी क्रेडिट पॉलिसी पर बैठक कर रही है जिसके बाद आज शाम तक faisla आ सकता है। घरेलू बाजार पर जारी दबाव के चलते रिजर्व बैंक लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में इजाफा करने का फैसला कर सकता है। अक्टूबर 2013 के बाद यह पहला मौका होगा जब रिजर्व बैंक लगातार दो बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा।
एक बार फिर इजाफा होने से देश में प्राइम लेंडिंग रेट 6.5 फीसदी पर पहुंच जाएगा जो इस सरकार के कार्यकाल में शीर्ष स्तर होगा। एल एंड टी फाइनेंस होल्डिंग्स के प्रमुख अर्थशास्त्री का मानना है कि रिजर्व बैंक के पास ब्याज दरों में इजाफे के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। रिजर्व बैंक के सामने क्रूड ऑयल की कीमतों समेत कई मुद्दे हैं जिनसे चुनौतियों में इजाफा हुआ है। वार्षिक उपभोक्ता महंगाई 5 फीसदी के स्तर को छू चुकी है और लगातार महंगाई का आंकड़ा रिजर्व बैंक के 4 फीसदी के टार्गेट से ऊपर बना है।
मॉनसून के ताजे आंकड़े रिजर्व बैंक की परेशानी को बढ़ा रहे हैं। देशभर में मानसून पैटर्न डिस्टर्ब रहा है और कई क्षेत्रों में असंतुलित बारिश दर्ज हुई है। इसलिए डर है कि खरीफ पैदावार से महंगाई को काबू पाने की उम्मीद पर पानी फिर सकता है।
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