बैंकों के NPA यदि क़र्ज़ को लेकर RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली समिति को भेजे जवाब में घोटालों की जांच में देरी और फैसले लेने में देरी को बैंकों के बढ़ते कर्ज (एनपीए) का कारण बताया।राजन ने कहा कि बैंकों ने जोंबी लोन को एनपीए में बदलने से बचाने के लिए ज्यादा लोन दिए गए। 2006 से पहले SBI कैप्स और IDBI बैंकों ने खुले हाथ से कर्ज दिए और यही घातक साबित हुआ क्यूंकि लोन देने में सावधानी नहीं रखी गई।
रघुराम राजन के इस बयान से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्यों अभी तक कांग्रेस मोदी सराकर को बढ़े एनपीए के लिए जिम्मेदार बताती रही है। चूँकि राजन की नियुक्ति यूपीए सरकार में ही हुई थी बीजेपी इस मौके को कांग्रेस के खिलाफ प्रयोग करने से नहीं गंवाएगी। समिति के सामने अरविंद सुब्रमण्यम ने एनपीए संकट से निपटने के लिए पूर्व आरबीआइ गवर्नर राजन की तारीफ की थी जिसके बाद ही समिति ने राजन को इस विषय में पूरा ब्यौरा देने को कहा था।
देश के सभी बैंक एनपीए की समस्या से जूझ रहे हैं। दिसंबर 2017 तक बैंकों का एनपीए 8.99 ट्रिलियन रुपये हो गया था। इसमें से सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों का एनपीए 7.77 ट्रिलियन है।
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