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आपको चोट लग जाए या कहीं किसी तरह का दर्द हो जाए तो उह आह आउच या मर गया या अरे मर गया बहुत तेज दर्द हो रहा है—-जैसी बातें बोलकर डॉक्टर या अपने किसी साथी को ये बता सकते हैं कि आपको कितनी तेज दर्द हो रहा है।
पर उन लोगों का क्या जो बोल नहीं सकते। जो बेड पर पड़ें हैं या कोमा में हैं। ऐसे लोगों को कितना दर्द हो रहा है यह पता लगाना भी तक मुमकिन नहीं था मगर यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड (लंदन) की एक रिसर्च में वैज्ञानिकों ने दिमाग के उस हिस्से का पता लगाने में सफलता हासिल कर ली है, जो दर्द होने वाल एक्टिव हो जाता है।
जब दर्द ज्यादा होता है तो यह हिस्सा ज्यादा एक्टिव हो जाता है। वैज्ञानिक इसे डोरसल पोस्टीरियर इंसुला कहते हैं। किसी बच्चे या बोलने में अक्षम अथवा किसी दिमागी परेशानी के शिकार युवक को हो रहे दर्द की माप एमआरआई के जरिए अब हो पाएगी। अगर यह प्रयोग सौ फीसदी सफल रहा तो मुमकिन है कि आने वाले वक्त में हम जानवरों को लगने वाली चोटों अथवा अन्य घावों से पैदा हुए दर्द को भी समझ पाएंगे।
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