भारतीय समाज में विवाह को सात जन्मों का बंधन माना जाता है। खासतौर से, हिन्दू धर्म में जब किसी का विवाह होता है तो जोड़ा हमेशा सात फेरे लेता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तव में विवाह में सिर्फ सात फेरे लेने की ही परंपरा क्यों है। कभी भी छह या आठ फेरे क्यों नहीं लिए जाते। नहीं न, तो चलिए हम आपको इस बारे में बताते हैं-
भारतीय संस्कृति में सात की संख्या मानव जीवन के लिए बहुत विशिष्ट मानी गई है। वर-वधु सातों वचनों को कभी न भूलें और वे उनकी दिनचर्या में शामिल हो जाएँ।
ऐसा माना जाता है, क्योंकि वर्ष एवं महीनों के काल खंडों को सात दिनों के सप्ताह में विभाजित किया गया है। सूर्य के रथ में सात घोड़े होते हैं जो सूर्य के प्रकाश से मिलनेवाले सात रंगों में प्रकट होते हैं। आकाश में इंद्र धनुष के समय वे सातों रंग स्पष्ट दिखाई देते हैं। दांपत्य जीवन में इंद्रधनुषी रंगों की सतरंगी छटा बिखरती रहे इस कामना से ‘सप्तपदी’ की प्रक्रिया पूरी की जाती है।
from रिलेशनशिप – Navyug Sandesh http://bit.ly/2vqB7nh
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