
झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। जिस तरह से ये नतीजे आये हैं उसके मुताबिक जेएमएम गठबंधन की सरकार बन रही है। जेएमएम सिंगल लार्जेस्ट पार्टी है।
झारखंड में बीजेपी का प्रदर्शन ठीक नहीं है। इस तरह से पाँच राज्य BJP के हाथ से निकल गये – मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और अब झारखण्ड।
बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन के महत्त्वपूर्ण कारण
अगर इस चुनाव में बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन की बात करें कई महत्त्वपूर्ण कारण नजर आ रहे हैं।
झारखंड विधानसभा चुनाव में धारा 370, राम मंदिर, तीन तलाक, नागरिकता संशोधन कानून जैसे बीजेपी के राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दों की खूब चर्चा हुई लेकिन स्थानिय मुद्दों पर बात नहीं हुई। जेएमएम और विपक्ष के तरफ से राष्ट्रीय के बजाय स्थानीय मुद्दों पर जोर दिया गया।
गैर आदिवासी चेहरा
मुख्यमंत्री के तौर पर गैर आदिवासी चेहरा को जनता ने खारिज कर दिया।आदिवासी बहुल क्षेत्रों में आदिवासियों के लिए जल, जंगल और जमीन का मुद्दा जोर-शोर से उठाया गया और विपक्ष के इन अभियानों से झारखंड में एक जनमत बना कि गैर आदिवासी सीएम झारखंड के आदिवासियों के लिए कल्याण की बात नहीं कर सकता है।
बीजेपी और AJSU गठबंधन का टूटना
बीजेपी और AJSU गठबंधन का टूटना भी एक कारण है। चुनाव से ठीक पहले ये गठबंधन टूट गया। पिछले चुनाव में आजसू ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और 5 सीटें जीतने में कामयाब रही थी।
सरयू राय की बगावत
सरयू राय की बगावत से भी अच्छा मैसेज नहीं गया। जनता के बीच सरयू राय की काफी अच्छी छवि रही है। इनको टिकट नहीं मिला तो कई लोगों को ऐसा लगा कि ऐसे लोगों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
इन कारणों के अलावा जो कारण है वो है स्थानीय नेताओं का सहयोग नहीं मिलना। दूसरे दलों से आये विधायकों को टिकट मिला तो कई स्थानीय नेताओं ने सहयोग नहीं किया तथा कई चुनाव भी लड़े जिससे बीजेपी को नुकसान हुआ।
आदिवासी नेता अर्जुन मुंडा और बाकि अन्य क्षेत्रीय और आदिवासी नेताओं को प्राथमिकता नहीं दी गई।
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