
जैसे-जैसे कोरोनावायरस पूरी दुनिया में तेजी से अपने पैर पसार रहा है, इसके मरीजों की संख्या भारत के साथ विश्व में बहुत तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में बहुत से मेडिकल विशेषज्ञ इस पर अपनी रिसर्च जारी किए हुए। कोरोना संकट के बीच में लोगों के मन में बहुत से सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में एक सवाल यह भी उठता है कि क्या बीसीजी वैक्सीन के जरिए कोरोनावायरस के खतरे को कम किया जा सकता है? आइए जानते हैं कि इस सवाल के जवाब में एम्स के डायरेक्टर ने क्या कहा।
एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा की बीसीजी पर जॉन हापकिंस यूनिवर्सिटी में रिसर्च किया गया है। जिसके अनुसार जहां जहां बीसीजी वैक्सीन का टिका दिया गया है वहां कोविड-19 की केसेस कम है। हालांकि यह बिल्कुल साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता कि बीसीजी का टीका ही इसका कारण है। क्योंकि इस पर अभी बहुत कुछ जानना और रिसर्च करना बाकी है यह एक इत्तेफाक भी हो सकता है।
साथ ही डॉक्टर ने यह भी कहा कि जन्म के साथ ही बच्चों को बीसीजी का इंजेक्शन दे दिया जाता है। देश में सभी लोगों को बीसीजी पहले से लगा हुआ होगा। फिर भी लोग कोरोनावायरस की चपेट में आ रहे हैं। क्या उन्हें इंजेक्शन दोबारा देने की जरूरत है? क्या इंजेक्शन ईम्यूनीटी बूस्टर का काम करता है। इस पर रिसर्च जारी है रिसर्च के परिणाम आने में अभी समय लगेगा।
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