
लॉकडाउन से हर किसी की आर्थिक स्तिथि पर बुरा असर हुआ है। ऐसे में कई लोगों की बैंक EMI भी अटक गई है। लोगों की इस परेशानी को देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कर्जधारकों को राहत देने के लिए ईएमआई चुकाने के लिए 6 महीने तक की रियायत दी है। देखने में यह छूट सहुलियत जैसी लगती है। लेकिन इस छूट का दोहरा असर कर्जधारक पर पड़ने वाला है। यही वजह थी कि रियायत के पहले चरण को सिर्फ 20 फीसदी ग्राहकों ने चुना था।
बैंकिंग सेक्टर के जानकार कहते है कि ईएमआई चुकाने के लिए 6 महीने तक की रियायत की वजह से भले ही कर्जधारक का सिविल नहीं बिगड़ता हो। यह भी सही है कि ईएमआई नहीं चुकाने का विकल्प चुनने वाले ग्राहकों का कर्ज एनपीए के दायरे में नहीं आएगा। इसके बावजूद अगले एक साल तक उस ग्राहक की कर्ज लेने की क्षमता पर असर पड़ना तय है। दरअसल बैंक ऐसे ग्राहकों को भविष्य में कर्ज देने में सतर्कता बरतेंगे और उनकी लिमिट बढ़ाने से डरेंगे।
- ईएमआई रियायत का लाभ लेने वाले ग्राहकों को मिल सकते है ये विकल्प
- रियायत खत्म होने पर इन छह महीने का कुुल ब्याज का एकमुश्त भुगतान देना पड़ सकता है।
- कुल ब्याज को बकाया लोन में जोड़कर बैंक लोन चुकाने के बचे समय में ईएमआई की राशि को बढ़ा सकते है।
- कुल ब्याज को लोन की बकाया रकम में जोड़कर ईएमआई की राशि पहले के मुताबिक चलेगी। लेकिन अवधि बढ़ाई जा सकती है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के मुताबिक ईएमआई भुगतान में मिली छूट की अवधि का ब्याज ग्राहक को अदा करना होगा। बैंक टर्म लोन नियमों के तहत ब्याज पर भी ब्याज वसूल कर सकते है। अब देखना होगा कि 6 महीने की ईएमआई छूट विकल्प के बाद कर्जधारकों का लाभ होगा या नहीं।
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