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वर्तमान के इस फैशनेबल और दिखावें की दुनिया में इंसान अपने लगभग सारे शौक पूरा करता हैं, चाहें उससे उसकी बॉडी पर बहुत ज्यादा नुकसान हो या फिर फायदा देखा जाए तो आज की दुनिया दिखावें का बहुत ही ज्यादा उपयोग करने लगी है।
दिखावें के चक्कर मे इंसान आज तंबाकू, गुटखा, पान मसाला, नस्वार आदि का लगातार सेवन कर रहे हैं जिससे मुंह के कैंसर ने महामारी का रूप ले लिया है। मुंह के कैंसर की पहचान अंतिम चरण में होने के कारण मरीज की उम्र महीनों में ही होती है। शुरुआत में इस बीमारी की पहचान कर इससे अवश्य बचा जा सकता है।
लक्षण:-
मुंह के कैंसर की शुरुआत में मुंह में लाल या सफेद धब्बा पहले पाया जाता है, कुछ परिस्थितियों में न ठीक होने वाला दर्द युक्त अल्सर भी हो सकता है या फिर बिना दर्द वाला कोई छोटा दाना जो बहुत दिनों से नहीं ठीक हो रहा हो। .कैंसर को फैलने में बहुत ज्यादा देर नहीं लगती। बढ़ी हुई स्थितियों में मरीज़ को बहुत ही ज्यादा दर्द होता है। उसे खाने पीने व सांस लेने में तो परेशानी होती ही है, साथ ही मुंह से खून भी आता है। गले में या आसपास की जगह पर सूजन भी अक्सर आ जाती है, क्योंकि गले में गांठ जैसी बन जाती है। मरीज को मुंह खोलने में परेशानी होती है। गले में हमेशा खरास की गंभीर समस्या रहने लगती है।
उपचार:-
माउथ कैंसर की पहचान के लिए डॉक्टर होठों, मुंह के पीछे, चेहरा और गर्दन की जांच करता है। कोई भी जख्म या अल्सर आदि मिलने पर उसकी बायोप्सी की जाती है। इसके बाद एंडोस्कोपिक जांच, इमेजिंग सीटी स्कैन ,एमआरआई और अल्ट्रासोनोग्राफी आदि की मदद से कैंसर की स्टेजेज का पता लगाया जाता है।
सबसे बड़ा कारण तम्बाकू:-
लगभग 90 प्रतिशत मरीजों में मुंह कैंसर का कारण मरीज़ों में तम्बाकू का सेवन माना जाता है। इसका खतरा तम्बाकू की मात्रा और प्रयोग के समय के साथ बढ़ता जाता है। दुर्भाग्य से 85 प्रतिशत से अधिक मरीज के रोग का पता बहुत बढ़ जाने पर चलता है।
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