Friday, August 31, 2018

अरुंधति रॉय : यह भारतीय संविधान के तख्तापलट जैसा है

गत जनवरी को पुणे के समीप भीमा-कोरेगांव में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दो समूहों के बीच मुठभेड़ में एक युवक की मौत हो गई थी। बाद में इस हिंसा की आंच लगभग समूचे महाराष्ट्र फैल गई थी। वामपंथी विचारकों की गिरफ्तारी के विरोध में देश के कुछ कथित बुद्धिजीवियों ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस में मोदी सरकार की निंदा की। लेखिका अरुंधति रॉय ने कहा कि एक समय था जब बांटो और राज करो की नीति चलती थी, पर अब सरकार की नीति गुमराह करो और राज करो की है।


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अरुंधति रॉय ने मोदी सरकार की गिरती लोकप्रियता पर कहा कि अ ‘मूड ऑफ द नेशन’ सर्वे में देखने को मिला कि सरकार की साख गिर रही है। सरकार ने विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसों को देश से भाग जाने दिया और जनता की जेब काटी।अरुंधति रॉय ने कहा कि पहले आदिवासियों को नक्सल कहा जा रहा था, अब दलितों को नक्सल कहा जा रहा है। यह भारतीय संविधान के तख्तापलट जैसा है, जो आपातकाल से ज्यादा खतरनाक है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वकीलों को गिरफ्तार करके लोगों को चुप कराया जा रहा है।

भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में सुरक्षा एजेंसियों ने छापेमारी करके वामपंथी विचारक-गौतम नवलखा, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वरनोन गोंजालवेस को गिरफ्तार किया था।गिरफ्तारियों पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है। यदि यह सेफ्टी वॉल्व हटा तो लोकतंत्र प्रेशर कुकर की तरह फट जाएगा।

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