
आने वाले चुनावों के मद्देनज़र बीजेपी ने पिछडी जातियों के 21 सम्मेलन कर लिए हैं और अब यूपी के हर जिले में ऐसी बैठकें करने का मन बना चुकी है। बीजेपी के मुक़ाबले में समाजवादी पार्टी ने भी हर जिले में पिछड़ा वर्ग सम्मेलन करने का फ़ैसला किया है। यूपी में पिछले लोकसभा और राज्य के विधान सभा चुनावों में पिछड़ी जातियों ने बीजेपी को झूम कर वोट किया था। पर इस बार बीएसपी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन ने बीजेपी की चिंता बढ़ा दी है। राज्य में सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा और बीजेपी अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडे अगड़ी जाति के हैं। लखनऊ में अलग अलग जाति के लोगों को बुला कर उनसे संवाद बनाने का सिलसिला शुरू हुआ। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ख़ुद इस कार्यक्रम के आयोजक रहे। बीजेपी में संगठन के लिहाज़ से 92 जिले हैं।
इन सब नेताओं को लखनऊ लाने, ठहराने और आव भगत की ज़िम्मेदारी ख़ुद केशव मौर्य और उनकी टीम ने सँभाली। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडे भी सम्मेलनों में मंच पर रहे। जिस जाति का सम्मेलन होता था, उस बिरादरी के मंत्री और बीजेपी के नेताओं को भी बुलाया गया। डेढ़ साली पुरानी योगी सरकार में पहली बार पिछड़े समाज के नेताओं को अपनी बात कहने का मौक़ा मिला।
जाट सम्मेलन में पीएम नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह पर भी वादे पूरे न करने के आरोप लगे। प्रजापति और निषाद जाति के सम्मेलनों में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि पार्टी सबको उचित सम्मान देगी।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा बीजेपी अब पिछड़ी जाति के लोगों की पार्टी बन गई है।बीएसपी का वोट बैंक रहा पिछड़ी जातियों का समूह अब बीजेपी के साथ है। पिछड़ों के नाम पर सिर्फ़ समाजवादी पार्टी के साथ भी बास यादव ही रह गए है। अखिलेश यादव ने भी यूपी के सभी 75 जिलों में पिछड़ा वर्ग सम्मेलन करने का एलान कर दिया है।
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