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स्कूल गोइंग यानि स्कूली बच्चों की सेहत को लेकर ऐसा खुलासा हुआ है जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे। देश के नामी कैंसर संस्थान चितरंजन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के मुताबिक राजधानी के तकरीबन 22 लाख बच्चों के फेफड़ों में दिक्कत है। चार से सत्रह साल के स्कूल जाने वाले दिल्ली के बच्चों की हालत राजधानी से दूर रहने वाले इसी उम्र के बच्चों से कहीं ज्यादा खराब है।
सबसे बुरी बात यह है कि प्रदूषण से इन बच्चों के फेफड़ों को जो नुकसान हो रहा है वो आगे जाकर ठीक नहीं होगा। ये बच्चे सांस से जुड़ी परेशानियों के साथ ही जवान होंगे। बताया जाता है कि यह इस तरह का अब तक का यह सबसे बड़ा अध्ययन है। इसमें 36 स्कूलों के 11 हजार बच्चों को शामिल किया गया और करीब चार साल तक उन पर स्टडी की गई।
स्टडी में शामिल करीब 44 फीसदी बच्चों के फेफड़े कमजोर पाए गए। वहीं 15 फीसदी बच्चों ने अक्सर आंखों में जलन की बात कही। इसके अलावा करीब 12 फीसदी बच्चों ने मितली आने या जी खराब होने की बात कही। दिल्ली में लगभग 44 लाख बच्चे स्कूल जाते हैं।
आप क्या कर सकते हैं
डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों के फेफड़े छोटे होते हैं, उन्हें प्रदूषण से बचाने की कोशिश करें। कभी कभी बच्चों की छुट्टी कराने से कतराएं नहीं। जब मौका मिले उन्हें शहर की गंदगी से दूर लेकर जाएं। अगर आप गांव से संबंध रखते हैं तो उन्हें थोड़े दिनों तक वहां भी लेकर जाएं। हो सकता है बच्चों को वहां अच्छा न लगे मगर उनके स्वास्थ्य के लिए यह बेहद जरूरी है। इसके अलावा खुद भी एक जिम्मेदार नागरिक बनें और प्रदूषण कम करने की कोशिश करें व पेड़ पौधे लगाएं।
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