दिल्ली में पेट्रोल-डीजल पंप डीलरों की हड़ताल का खास असर देखा गया। अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर वैट नहीं घटाने से नाराज पेट्रोल-डीजल डीलरों ने कल हड़ताल की थी, यह हड़ताल सुबह 6 बजे से शुरु हुई थी, पेट्रोल पंप डीलर दिल्ली सरकार द्वारा पेट्रोल-डीज़ल पर वैट घटाने से इनकार किए जाने का विरोध कर रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा पिछले दिनों अपनी ओर से पेट्रोल-डीज़ल पर ढाई रुपये कम किए जाने के बाद कई राज्यों ने पेट्रोल-डीज़ल पर ढाई रुपये वैट घटाया था। दिल्ली के पड़ोस की यूपी और हरियाणा की सरकारें 5 अक्टूबर को पेट्रोल-डीजल पर वैट घटा चुकी है।
मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक दिल्ली में पेट्रोल की बिक्री 20 फीसदी, जबकि डीजल की बिक्री 30 फीसदी घट गई है। निजी पेट्रोल पंप इससे नाराज हैं। निजी पेट्रोल पंपों की हड़ताल के दौरान सरकारी तेल कंपनियों की ओर से चलाए जा रहे पेट्रोल पंप खुले रहे। वैट कम करने की मांग को लेकर सोमवार को दिल्ली में 400 पेट्रोल पंप बंद रहे।
इसके चलते पेट्रोल और डीजल के लिए लोगों को काफी परेशानी हुई। दावा किया गया है कि एक दिन की हड़ताल से पेट्रोल पंप मालिकों को 50 करोड़ का नुकसान हुआ। जबकि 12 करोड़ का नुकसान सरकार को भी हुआ है।
हड़ताल में दिल्ली के 160 सीएनजी पंप भी शामिल रहे। इसके कारण बाइक, कार के अलावा टैक्सी चालक भी सीएनजी के लिए दिन भर लोग भटकते रहे। लोगों ने वाहन छोड़ मेट्रो के सफर को ही ठीक समझा। कई लोग अपने ऑफिस भी नहीं पहुंच पाए। कुछ लोग वाहन पार्किंग में खड़ा कर मेट्रो से सफर कर गंतव्य तक गए।
उधर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बयान का दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन ने कड़ा विरोध किया। एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा है, मनमानी नहीं छोड़ी तो जल्द ही दिल्ली सरकार के खिलाफ पेट्रोल पंप मालिकों का बड़ा विरोध देखने को मिलेगा। उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए जल्द वैट कम करने की मांग भी की है।
उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पेट्रोल पंपों की हड़ताल को राजनीति से प्रेरित बताया है। केजरीवाल ने इसके लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने ट्वीट किया, पेट्रोल पंप मालिकों ने हमें निजी तौर पर बताया है कि यह एक बीजेपी प्रायोजित हड़ताल है, जो सक्रिय रूप से तेल कंपनियों द्वारा समर्थित है।
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