Friday, November 2, 2018

16 महीने से अधिक जिंदा नहीं रह पाते ऐसी बीमारी से पीड़ित मरीज़

साइंटिस्ट को ब्रेन ट्यूमर की वृद्धि रोकने वाले प्रोटीन का पता लगाने में कामयाबी मिली है। शोधकर्ताओं का कहना है की शरीर में प्रोटीन की कार्यशीलता को रोकने से ब्रेन ट्यूमर का विकास भी रुक जाता है। ताजा रिसर्च से खतरनाक एवं लाइलाज कैंसर के इलाज का नया रास्ता भी खुल सकता है।


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रिसर्च के अनुसार, ओएसएमआर (ऑन्कोस्टेटिन एम रिसेप्टर) नामक प्रोटीन की क्रियाशीलता को बंद कर देने से ट्यूमर का बनना बंद हो जाता है। यह प्रोटीन ही ग्लियोब्लास्टोमा ट्यूमर के लिए भी जिम्मेदार है। इसे एक खतरनाक तरह का कैंसर माना जाता है। इस ट्यूमर में रेडिएशन और कीमोथैरेपी कभी काम नहीं करती।

इसे सर्जरी के जरिए निकालना भी बहुत मुश्किल है। मुख्य शोधकर्ता और कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर का कहना है कि इस तरह के ट्यूमर से पी़डत रोगी 16 महीने से अधिक जिंदा नहीं रह पाते हैं।शोधकर्ताओं के अनुसार, ओएसएमआर जितना अधिक क्रियाशील होगा, मरीज की मौत भी उतनी ही करीब होगी।

स्तन कैंसर का स्टार्टिंग में पता चलने पर इसे कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन दूसरे-तीसरे चरण में इस पर काबू पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने इस दिशा में अद्भुत सफलता हासिल की है। वैज्ञानिकों के इस दल ने ब्रेस्ट कैंसर सेल्स के शरीर के अन्य सभी हिस्सों में फैलाव के तरीकों को ढूंढने का दावा किया है। शोधकर्ताओं ने कैंसर सेल्स के स्लाइड करने की प्रोसेस का भी पता लगाया है।

उनके मुताबिक, जो संक्रमित सेल्स होते है वो प्रोटीन फाइबर के साथ-साथ चलते हैं। प्रोटीन फाइबर ही कैंसर सेल्स को शरीर के अन्य सभी हिस्सों में जाने का रास्ता बताता है। इस शोध से कैंसर सेल्स के फैलाव को रोकने में मदद मिलने की संभावना बहुत बढ़़ी है। कैंसर सेल्स फिसलकर (स्लाइड) स्वस्थ सेल्स के पास पहुंचते हैं और ट्यूमर से बाहर निकलने के उनके रास्ते को विल्कुल अवरद्ध कर देते हैं। ऐसे में स्वस्थ सेल्स भी कैंसर सेल्स की लपेटे में आ जाते हैं।



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