Friday, November 2, 2018

दीपों का त्यौहार, लेकिन कम होता व्यापर

हर इंसान के दिल में खुशियां लाने वाली दीपों और रोशनी के त्यौहार दिपावली की चमक इस बार फीकी पडती नजर आ रही है। दीपावली का हर साल बेसब्री से इंतजार किया जाता है। पूरे साल का बिजनेस दिपावली पर टिका होता है। बर्तन, इलेक्टिक सामान, सोना..चांदी, गाडियों की खरीदारी से बाजार की चमक बढ जाती है। बढिया कारोबार से दिवाली सबके लिए खुशियां लाती है। लेकिन जहां कारोबार में कमी आती है वैसे ही दीपों के त्यौहार में रोशनी कम हो जाती है।


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धन की देवी लक्ष्मी इस त्यौहार पर अपनी पूरी कृपा बरसाती हैं। लकिन, पिछले कई वर्षों से कारोबार में हल्की गिरावट देखी जा रही है। जबकि 2017 में तो त्यौहारी सीजन में भी कारोबार में उदासीनता दिखी। अब यही हाल 2018 में भी देखा जा रहा है, व्यापारियों के मुताबिक इस बार भी बाजार बहुत ठंडा जा रहा है, ग्राहकों को उदासनी रवैया ओर सस्ते मोलभाव के कारण बाजार में बिल्कुल मंदी का हाल है। इसके पीछे व्यापारी बाजार में मंदी का तर्क दे रहे हैं।

चाहे सोना, चांदी, कारोबार हो कपडा हो या इलेक्टिृोनिक आइटम का व्यापार सब जगह माहौल ठंडा नजर आ रहा है। विशेषज्ञों इस बारे में कहते हैं कि नोटबंदी का असर खत्म होने में तकरीन छह महीेने का समय लगा। नोटबंदी के बाद बाजार संभला ही था कि जीएसटी ने व्यापारियों की कमर तोड दी। अभी तक व्यापारी और ग्राहक सीधे लेनदेन पर विश्वास करते थे।

लेकिन जब से जीएसटी जरूरी हुआ है तब से व्यापारियों में इसको लेकर रोष है, व्यापारियों का कहना है कि इसमें नियम कायदे ज्यादा लगाए गए हैं और व्यापारियों को परेशान करने की गर्ज से इसमें टैक्स का दायरा बढाया गया है। व्यापारियों की हडतालों और पैसे की कमी और ग्राहकी ना होना जैसे कारणों से बाजार पर सीधा असर पडता दिख रहा है जिससे दीपों और रोश्ननी के त्यौहार की वमक और रौनक कम होती नहर आ रही है ।



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