यह तो हम सभी जानते हैं कि ईश्वर की पूजा के लिए जिस माला का इस्तेमाल किया जाता है, उसमें 108 दाने होते हैं। इतना ही नहीं, किसी भी अनुष्ठान आदि में मंत्रों का जाप 108 बार ही किया जाता है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि वास्तव मंे ऐसा क्यों होता है। यह गिनती 108 ही क्यों होती है। नहीं न, तो चलिए आज हम आपको इस बारे में बताते हैं-
दरअसल, ज्योतिष के अनुसार ब्रह्मांड को 12 भागों में विभाजित किया गया है। इन 12 भागों के नाम मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ और मीन हैं। इन 12 राशियों में नौ ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु विचरण करते हैं। अतः ग्रहों की संख्या 9 का गुणा किया जाए राशियों की संख्या 12 में तो संख्या 108 प्राप्त हो जाती है।
इसके साथ ही कुल 27 नक्षत्र होते हैं। हर नक्षत्र के 4 चरण होते हैं और 27 नक्षत्रों के कुल चरण 108 ही होते हैं। माला का एक-एक दाना नक्षत्र के एक-एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है। इन्हीं कारणों से माला में 108 मोती होते हैं।
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