निर्भया गैंग रेप के अपराधियों को शनिवार सुबह 6:00 बजे फांसी लगनी थी इस फैसले को टाल दिया गया है। हांलाकी पटीयाला हाउस कोर्ट ने डेथ वारंट पर अगले आदेश तक रोक लगा दिया है। निर्भया की मां इस बात से परेशान है। उन्होंने कहा कि फांसी टालने से ज्यादा मुझे इस बात का दुख है कि निर्भया के वकीलों ने ऐसी दलीलें पेश की जिससे फांसी को अनंत काल तक टालने के लिए अर्जी लगाई गई है।
आइए जानते हैं, उन खास दलीलों के बारे में जिसकी वजह से यह फांसी का निर्णय आगे टाला गया हैः
आरोपी विनय सिंह के वकील एपी सिंह की दलीलः
सुप्रीम कोर्ट के वकील ने यह दलील पेश किया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार दया याचिका खारिज होने के 14 दिन का समय लिया जाता है। इससे पहले फांसी नहीं दी जा सकती और नई तारीख तय की जाए। इसलिए तय समय पर किसी को फांसी नहीं दी जा सकती। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि अनिश्चितकाल तक आरोपियों के डेथ वारंट पर रोक लगाई जाए। जब तक कि राष्ट्रपति दया याचिका पर फैसला ना ले।
दोषी मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर की दलीलेंः
वकील ने कहा कि दोषियों को अलग-अलग करके फांसी नहीं दी जा सकती सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी इस तरह के मामले में नाराजगी जताई थी।
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार जेल प्रशासन ने क्यूरेटिव पिटिशन का जिक्र दोषियों के मैनुअल में नहीं किया है।
एक दया याचिका अभी भी लंबित है। जब तक उस पर फैसला नहीं हो जाता तब तक के लिए फांसी टाली जानी चाहिए।
एक ही अपराध के अलग अलग तरीके से सजा नहीं दी जा सकती इस पर विचार हो।
वकील ने यह तक कहा कि मान लीजिए अगर विनय की फांसी उम्रकैद में बदल जाती है। तो उन अपराधियों का क्या जिन्हें फांसी की सजा दी गई है।
विनय और मुकेश को छोड़कर बाकी दो अपराधियों ने दया याचिका दर्ज नहीं कराई। उन्होंने कोई दूसरी अपील अपनी फांसी की सजा माफ करवाने के लिए नहीं लगाई है।
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