
पिछले दिनों सीधे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को रोकने के लिए भारत सरकार ने पाबंदी लगाई थी जिससे चीन तिलमिला उठा है। भारत सरकार के इस कदम की चीन ने आलोचना की है और इसे डब्ल्यूटीओ के गैर-भेदभाव के सिद्धांतों का उल्लंघन करार दिया है। चीन का कहना है कि विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए भारत के नए नियम मुक्त और निष्पक्ष व्यापार के खिलाफ हैं। साथ ही चीन ने आशा व्यक्त की है कि भारत जल्द ही इन ‘भेदभावपूर्ण प्रथाओं’ को संशोधित करेगा।
भारत सरकार ने सीधे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को रोकने के लिए जो नए नियम संपादित किये है उनके अनुसार वो देश जिनकी सीमा भारत से लगती है, सभी के लिए देश में निवेश से पहले सरकार की मंजूरी जरूरी होगी। दरअसल कोरोना संकट की वजह से सभी देशों की आर्थिक हालात खराब है। जिसके बाद भारतीय कंपनियों के शेयर की कीमतें भी घट गई है। ऐसे में आशंका थी कि चीन खुद और दूसरे किसी पड़ोसी देश के जरिये भारत में निवेश बढ़ा सकता है।
अन्य देशों द्वारा भारत में आर्थिक फायदा उठाने की आशंका को खत्म करते हुए भारत सरकार ने सीधे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से पहले मंजूरी जरुरी कर दी। सरकार द्वारा एफडीआई कानून में बदलाव करने को विपक्ष नेता राहुल गाँधी ने भी सराहा है। बता दे कोरोना संकट की स्तिथि को देखते हुए सीधे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को रोकने के लिए सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, इटली भी ऐसा कदम उठा चुके हैं।
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