15 अगस्त – भारत का 72वाँ स्वतंत्रता दिवस – हर साल की तरह आज भी देशभर में सभी जगह देशभक्ति के नारे लगाए जा रहे होंगे, हिंदुस्तान का परचम फ़क्र के साथ लहराया जा रहा होगा । 72 साल से हम आज़ादी का जश्न बनाते आ रहे हैं, जो मुमकिन हुआ है उन सभी वीर सैनानियों की वज़ह से जिनमें से कुछ वीरगति प्राप्त हुए तो कुछ उनके साक्षी बने । ये उस बॉर्डर पर खड़े हर एक वीर, उनकी वीरांगनों, उनके परिवार वालों और उनके बलिदान की बदौलत है कि हमारा देश आज भी स्वतंत्र है ।
हर स्वतंत्र दिवस पर शहीद हुए उन जवानों को सलामी दी जाती है, उनके परिवार वालों को सम्मनित किया जाता है। जिस माँ ने अपना बेटा, जिस बहन ने अपना भाई, जिस अर्धांगनी ने अपना प्यार खो दिया हो वो भी मुस्कुराकर गर्व के साथ हर दिन खड़ी हो जाती है, कुछ ऐसी ही देशभक्ति की नई मिठास हवा में घुल जाती है। ऐसे ही हमारे वीर पराँगत सैनानीयों को, उनके परिवारों को समर्पित चंद पंक्तियाँ –
वीरों की जुबानी –
जानता हूँ इंतज़ार कर रही होगी तुम मेरा ,
पर क्या करूँ अब ये वर्दी ही है ईमान मेरा ,
जाति- धर्म से खिंची इन लकीरों ने ,
सरहदों पार खड़ा कर दिया है हमें ,
उन राजनैतिक पुतलों ने, कठपुतलियाँ समझ ,
देशभक्ति के धागों में पिरो लिया है हमें ।
पर क्या करूँ अब ये वर्दी ही है ईमान मेरा ,
जाति- धर्म से खिंची इन लकीरों ने ,
सरहदों पार खड़ा कर दिया है हमें ,
उन राजनैतिक पुतलों ने, कठपुतलियाँ समझ ,
देशभक्ति के धागों में पिरो लिया है हमें ।
जानता हूँ मेरी तस्वीर से जो फरियादें करती हो तुम,
हूँ वाकिफ़ तुम्हारे सभी शीक्वे – गिलों से ,
पर क्या करूँ मोहताज भी है ये देश हमारा ,
तो ताज हमारा तिरंगा इसका ,
प्यार किया है तुमसे ही ,
बस आशिकी निभा रहा इस मिट्टी से हूँ ।
जानता हूँ नम जो हो जाती हैं आँखें तुम्हारी ,
अश्कों में फैले अक्षरों को पढ़ा है मैंने ,
पर क्या जवाब दूँ उस खत का तुम्हें ,
यहाँ एक पल की खबर नहीं, कब फ़िसल जाए हाथों से ,
कैसे बताऊँ तुम्हें, दिल में तुम्हरी तस्वीर लिए ही ,
सर पर कफ़न बाँध बैठें हैं यहाँ मौत के इंतज़ार में ।
– श्रेया खंडेलवाल
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