मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राजधानी रायपुर के स्वामी विवेकानंद सरोवर (बूढ़ा तालाब) के सामने स्थित इंडोर स्टेडियम में प्रदेश के मनरेगा मजदूरों के लिए ’मुख्यमंत्री मनरेगा मजदूर टिफिन वितरण योजना’ की शुरूआत की। इस योजना के तहत मुख्यमंत्री के हाथों टिफिन पाकर मनरेगा मजदूरों के चेहरे खिल उठे। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को धन्यवाद देते हुए कहा कि अब वो अपने कार्यस्थल में सुरक्षित तरीके से खाना खा सकेंगे।
जुगुत बैगा को अब दोना-पत्तल में नहीं ले जाना पड़ेगा पेज – कबीरधाम जिले के पंडरिया विकासखण्ड के ग्राम पंचायत डालामहुआ में रहने वाले श्री जुगुत बैगा खुश है कि अब काम में जाने के दौरान उन्हें दोना-पत्तल में खाना लेकर नही जाना पड़ेगा। मुख्यमंत्री मनरेगा मजदूर टिफिन वितरण योजना के तहत आज मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के हाथों टिफिन मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए श्री जुगुत बैगा ने कहा कि मनरेगा में सुबह से ही मजदूरी मंे जाना पड़ता है। ऐसे में वे दोना-पत्ता में पेज लेकर जाते थे। जिससे कभी उसमें चींटी और कभी कचरा पड़ जाता था, पर अब टिफिन मिलने से उनका खाना सुरक्षित रहेगा और खाने के बाद वो फिर से अपना काम कर सकेंगे। उन्हांेने टिफिन के लिए मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद भी दिया।
मालाबाई की मन की बात मुख्यमंत्री ने की पूरी – किसानी-मजदूरी से अपने परिवार का पालन पोषण करने वाली श्रीमती माला बाई चतुर्वेदी रायपुर जिले के अभनपुर विकासखण्ड के ग्राम केन्द्री में रहती है। श्रीमती माला चतुर्वेदी के परिवार को जहां एक ओर मनरेगा से रोजगार मिलने की खुशी है, वहीं काम में जाते समय छौआ-रापा के साथ गंजी में बासी ले जाने का मलाल था। श्रीमती माला बाई कहती है कि जब वे बड़े लोगों को टिफिन में खाना ले जाते हुए देखती थी, तो उन्हें भी शौक लगता था कि उनके पास भी एक टिफिन हो। मेरी मन की बात मुख्यमंत्री जी ने सुना और हम मजदूरों को टिफिन के रूप में यह सम्मान दिया है। इसके लिए हम सभी उनके आभारी हैं।
गेन्दूराम कमार को पोटली में खाना ले जाने से मिली निजात – प्रदेश के गरियाबंद जिले के ग्राम पंचायत कोदोबतर में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति के श्री गेन्दूराम कमार का परिवार छत्तीसगढ़ सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ पाकर खुशहाली पूर्वक अपना जीवन-यापन कर रहा है। मनरेगा के तहत गेन्दूराम को रोजगार मिलने से वो बहुत खुश हैं, परंतु काम में जाने पर उन्हें पोटली मंे खाना लेकर जाना पड़ता था। श्री गेन्दूराम बताते हैं कि पोटली में खाना लेकर जाते थे और उसे पेड़ के पास रख देते थे, जिससे उसमें चाटी लग जाती थी और उसे निकालकर फिर खाना खाना पड़ता था। सायकल से कई बार पोटली के गिर जाने से भी पूरा खाना खराब हो जाता था। इससे उन्हें बहुत परेशानी भी होती थी। टिफिन में खाना ले जाने से उसमें चाटी भी नही लगेंगी और खाना भी खराब नही होगा। टिफिन मिलने से उन्हें बहुत खुशी हुई है।
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