
आपने यह कभी नहीं सोचा होगा कि जिस छोटे से तिल ने आपकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हुए आपको ढेरों तारीफें दिलवाई हैं, वो कैंसरयुक्त भी हो सकता है। आमतौर पर लोगों के शरीर पर 14 से 40 तिल होते हैं। ऐसे तिल को मेलेनोसिटिक नेवी के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर ऐसे तिल नुकसानदेह नहीं होते और इनसे किसी भी तरह की समस्या नहीं होती है। हालांकि जिन लोगों के शरीर पर 50 से ज्यादा तिल या मस्से होते हैं, उनमें मेलेनोमा का खतरा सबसे अधिक होता है, जो त्वचा कैंसर का सबसे आक्रामक रूप है।
बचपन से लेकर युवावस्था तक शरीर के विभिन्न अंगों पर नए तिल बनना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। लेकिन आमतौर पर ऐसा कम ही देखा जाता है कि वयस्क होने पर शरीर पर कोई नया तिल बना हो। इंसान के शरीर पर अधिकतर तिल सामान्य होते हैं और उनसे कोई खतरा नहीं होता। हालांकि कैंसरयुक्त तिल त्वचा के किसी भी हिस्से में हो सकते हैं, चाहे वह त्वचा सूरज की किरणों के सीधे सम्पर्क में हो अथवा नहीं हो।
आधुनिक चिकित्सा और कैंसर की नई दवाओं के अविष्कार के कारण किरण जैसी मरीजों का इलाज कैंसर की उन्नत अवस्था में भी संभव है। नई चिकित्सा पद्धतियों जैसे, टार्गेटेड थैरेपी और इम्युनोथैरेपी के चलन में आने के बाद कैंसर के इलाज की गुणवत्ता बढ़ेगी। यानी कैंसर का इलाज अधिक प्रभावी तरीके से संभव हो पाएगा। मेलेनोमा का कोई निश्चित कारण नहीं होता, इसलिए ये हमारी जिम्मेदारी है कि शरीर में होने वाले किसी भी तरह के बदलाव के प्रति सचेत रहें।
from हेल्थ – Navyug Sandesh https://ift.tt/2OcFCJ5
No comments:
Post a Comment