आम तौर पर बचपन में लगी चोट को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। उसे गंभीरता से नहीं लिया जाता है, लेकिन ब्रिटिश शोधकर्ताओं का ताजा अध्ययन के नतीजे चौंकाने वाले हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बचपन में दिमाग में लगी चोट जानलेवा भी हो सकती है। इससे मानसिक बीमारी के अलावा जान जाने की आशंका भी बढ़ जाती है।
अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों के मस्तिष्क में बचपन में हल्की या गंभीर चोट लगती है, ऐसे लोगों के मानसिक परेशानी को लेकर अस्पताल में भर्ती होने की आशंका दोगुनी हो जाती है। उनमें दिमागी समस्या का खतरा 50 फीसदी ज्यादा रहता है। इतना ही नहीं, ऐसे लोगों की समय पूर्व मृृत्यु की आशंका भी ज्यादा रहती है। विशेषज्ञों ने बेहोशी का शिकार होने वाले बच्चों का बेहतर उपचार कराने की सलाह दी है ताकि समय रहते खतरे को कम किया जा सके।
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