नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े बैंक और केंद्र सरकार के बीच चल रही कलह अब सामने आनी शुरू हो गई है| रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा था की बैंको में सरकार का हस्तक्षेप नहीं है और अब देश के वित्त मंत्री ने उन्हें निशाने में लिया है| जेटली ने मंगलवार को कहा की “कर्ज बाटने के मामले में रिज़र्व बैंक बाकी बैंको में अंकुश नहीं लगा पाया जिससे एनपीए बढ़ता चला गया”|
मनमाने तरीके से बैंको ने बाटे लोन– जेटली ने कहा, वैश्विक आर्थिक संकट के बाद आप देखें तो 2008 से 2014 के बीच अर्थव्यवस्था को कृत्रिम रूप से आगे बढ़ाने के लिए बैंकों को अपना दरवाजा खोलने तथा मनमाने तरीके से कर्ज देने को कहा गया था| केंद्रीय बैंक की निगाह कहीं और थी| उस दौरान अंधाधुंध तरीके से कर्ज दिए गए| जेटली ने कहा कि 2008 की वैश्विक मंदी के बाद तत्कालीन सरकार ने बैंकों को लोन बांटने की खुली छूट दे दी| यही वजह थी कि उस दौरान क्रेडिट ग्रोथ एक साल में 14% की सामान्य दर से बढ़कर 31% हो गई| वित्त मंत्री ने कहा की किसी भी विभाग में गड़बड़ होने की आलोचन सरकार को झेलनी पड़ती है जबकि निगरानीकर्ता आसानी से बचकर निकल जाता है| उन्होंने कहा की हमने टैक्स में मामले में देश में सुधार किया है|
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