जिस तरह भारत में पितरों को शांत करने के लिए पितृपक्ष मनाया जाता है ठीक वैसे ही पश्चिमी देशों में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिये हैलोवीन नाम का एक फेस्टिवल मनाया जाता है. यह पर्व अक्टूबर के आखिरी रविवार को मनाया जाता है इस बार यह त्योहार 28 अक्टूबर को संपन्न हुआ. इस त्यौहार की शुरुआत आयरलैंड एवं स्कॉललैंड से हुई थी.
पितरों की आत्मा की शांति के लिये
यूरोप के सैल्टिक जाति के लोग इस पर्व पर चुड़ैल बनते हैं और जानवरों को मुखौटे, चमड़ी पहनकर नाचते हैं. वे मानते हैं कि कोई विशिष्ट सर्वोच्च प्राकृतिक शक्ति है.
हैलोवीन डे मनाने की कथा
हैलोवीन डे पर लालटेन जलाने की भी एक लोकप्रिय परंपरा है. इसके पीछे कंजूस जैक और शैतान की आयरिश लोककथा मानी जाती है. आयरलैंड में जन्मे कंजूस शराबी जैक ने अपने एक शैतान दोस्त को घर में शराब पीने के इनवाइट किया, लेकिन वो नहीं चाहता था कि वह अपना पैसा खर्च करे. उसने अपने दोस्त को शराब के बदले घर में लगा कद्दू यानी पंपकिन देने के लिए राजी किया.बाद में वह अपनी बात से मुकर गया. उसके दोस्त ने गुस्से में पंपकिन की डरावनी लालटेन बनाकर घर के बाहर पेड़ पर लटका दी, जिस पर उसके मुंह की नक्काशी की और जलते कोयले डाल दिए. तब से दूसरे लोगों के लिए सबक के तौर पर इस दिन जैक-ओ-लालटेन का चलन शुरू हो गया. यह उनके पूर्वजों की आत्माओं को रास्ता दिखाने और बुरी आत्माओं से रक्षा करने का प्रतीक है.
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