किसी प्रकार के सदमे या मानसिक आघात के बाद नींद का भावनात्मक चोट और यादों पर पॉजिटिव प्रभाव पड़ता है। एक शोध के अनुसार ये सदमे के कारण होने वाले तनाव विकार (पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, PTSD) के लिए थेरेपी में काम आती है।ज्यूरिख यूनिवर्सिटी में सब्जेक्ट्स को एक सदमे का वीडियो दिखाया गया । वीडियो में बार-बार आने वाली उन तस्वीरों की डिटेल को एक डायरी में लिखा गया जिन्होंने टेस्ट सब्जेक्ट्स को पिछले कुछ दिनों से परेशान किया।
इन यादों की क्वॉलिटी पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से पीड़ित मरीजों के समान थी। इस प्रयोग में शामिल लोगों को दो ग्रुप में बांटा गया। एक ग्रुप को उस वीडियो को दिखाने के बाद लैब में सुलाया गया और उनकी नींद को एक इलेक्ट्रोइनइनसेफ्लोग्राफ (ईईजी) के जरि रिकॉर्ड किया गया, दूसरे ग्रुप को जगा हुआ रखा गया।इस प्रयोग के रिजल्टke बारे में कहा गया की , ‘हमारा रिजल्ट बतलाता है कि जो लोग फिल्म के बाद सो गए उन्हें जागने वाले लोगों की तुलना में बार-बार आने वाली भावनात्मक यादें कम या न के बराबर आईं।’
इस स्टडी के मुताबिक नींद किसी सदमे या मानसिक आघात के कारण पैदा होने वाले डर की यादों से जुड़ी भावनाओं को कमजोर करने में मदद करती है। इस स्टडी को जर्नल स्लीप में प्रकाशित किया गया है।
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