नई दिल्ली: देश में सीबीआई को लेकर चल रहे विवाद का खात्मा नहीं हुआ था की आरबीआई के डिप्टी डायरेक्टर ने एक ऐसा ब्यान दिया है जो सरकार पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है| आरबीआई के डिप्टी डायरेक्टर वायरल आचार्य ने सरकार की नीतियों में सवाल उठाते हुए कहा है की आरबीआई कोई सरकारी विभाग नहीं है और इसे और अधिक स्वायत्तता की आवश्कयता है| उनके इस बयान से जरूर एक बार फिर से सियासी खलबली मच सकती है क्योकि इसका संकेत है की कही ना कही सरकार आरबीआई में भी हस्तक्षेप कर रही है|
सरकार टी-ट्वेंटी खेलती है- आरबीआई डिप्टी गवर्नर ने कहा कि अगर केंद्रीय बैंक की आजादी का सम्मान सरकारें नहीं करेंगी तो उन्हें बाजार के गुस्से का सामना करना पड़ेगा| विरल आचार्य ने कहा कि आरबीआई की नीतियां नियमों पर आधारित होनी चाहिए| उन्होंने कहा कि सरकार चुनाव जैसे मुद्दों को ध्यान में रखकर टी-20 वाली सोच के साथ फैसले लेती है| जबकि आरबीआई को टेस्ट मैच खेलना पसंद है। उसका इरादा भी हमेशा जीतने का रहता है, लेकिन वो भविष्य की चुनौतियों पर भी नजर रखता है|
लोन माफ़ करना खतरनाक– आचार्य ने सरकारों की लोन माफ़ी व्यवस्था पर भी सवालिया निशान खड़े किये और उन्होंने कहा की सरकारों के द्वारा लोन माफ़ी किये जाने की व्यवस्था भी बहुत अधिक खराब है क्योकि इससे आने वाले समय में बैंको को नुकसान होता है| अगर सरकारे ऐसे ही लोन माफ़ करती रही तो आगे आने वाले समय में काम करना बहुत मुश्किल हो जाएगा और बैंक सिस्टम सही से काम नहीं कर पाएगा|
सरकार को कठोर सच्चाई बताने का काम– विरल आचार्य ने कहा कि बाद सरकार को पछतावा होगा कि एक महत्वपूर्ण संस्था को कम करके आंका गया| उन्होंने कहा कि आरबीआई का काम सरकार को कठोर लेकिन क्रूर और ईमानदार सच्चाई बताने का है, आरबीआई सरकार का एक ऐसा मित्र है, जो अर्थव्यवस्था के बारे में समय-समय पर सचेत करता है| बता दें कि विरल आचार्य मुंबई में एक कार्यक्रम में बोल रहे थे और उनके इस भाषण को आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट पर भी पोस्ट किया गया है|
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