कृत्रिम भ्रूण बनाने की दिशा में वैज्ञानिकों को बहुत ही बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। 3डी तकनीक और शरीर के मास्टर स्टेम सेल का इस्तेमाल कर वैज्ञानिकों ने चूहे के कृत्रिम भ्रूण को खुद लैब में तैयार किया है। इस उपलब्धि को हासिल करने के बाद वैज्ञानिकों के लिए यह बताना बहुत आसान होगा कि आखिर इंसान की 3 में से लगभग 2 प्रेग्नेंसी क्यों फेल हो जाती है।
एक बार जब किसी स्तनधारी का अंडा स्पर्म से फर्टिलाइज हो जाता है उसके बाद वह कई बार विभाजित होकर बेहद छोटे फ्रीफ्लोटिंग स्टेम सेल्स में तब्दील हो जाता है। वो खास स्टेम सेल जिससे भविष्य का शरीर तैयार होता है, उसके साथ ही एम्ब्रिऑनिक स्टेम सेल (ESC) यानी भ्रूण के स्टेम सेल क्लस्टर भ्रूण के अंदर एक साथ आ जाते हैं। विकास के इस स्टेज को ब्लास्टोसिस्ट कहते हैं।
ब्लास्टोसिस्ट में मौजूद दूसरे तरह के स्टेम सेल को एक्स्ट्रा एम्ब्रिऑनिक ट्रोफोब्लास्ट स्टेम सेल (TSC) कहते हैं जिससे प्लेसेंटा यानी गर्भनाल तैयार होती है और मौलिक इंडोडर्म स्टेम सेल जो योक सैक का निर्माण करता है। इससे इस बात को सुनिश्चित किया जाता है कि फीटस यानी गर्भस्थ शिशु के सभी ऑर्गन बेहतर तरीके से विकसित होंगे और उन्हें जरूरी पोषक तत्व मिल पाएंगे। एम्ब्रिऑनिक स्टेम सेल (ESC) का इस्तेमाल कर भ्रूण जैसी संरचना बनाने की कोशिश पहले भी की गई थी लेकिन उन्हें सीमित सफलता ही मिली थी।
केंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने आनुवांशिक तौर पर संशोधित किए गए चूहों के ESC और TSC कॉम्बिनेशन को मिलाकर 3डी तकनीक के जरिए ऐसी संरचना को बनाने में कामयाबी हासिल की जो काफी हद तक प्राकृतिक भ्रूण की ही तरह था। केंब्रिज यूनिवर्सिटी की एक प्रोफ़ेसर बताती हैं, ‘एम्ब्रिऑनिक और एकस्ट्रा एम्ब्रिऑनिक सेल एक दूसरे से बात करना शुरू करते हैं और एकसाथ व्यवस्थित होकर एक संरचना का निर्माण करते हैं जो देखने और बर्ताव करने में प्राकृतिक भ्रूण के जैसा है।’
from हेल्थ – Navyug Sandesh https://ift.tt/2QdKmEk
No comments:
Post a Comment