हमारे देश में गॉल ब्लाडर कैंसर के रोगियों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। इनमें से 90 प्रतिशत मरीजों को बीमारी का पता तो चौथी स्टेज पर चलता है। तब तक गॉल ब्लाडर के साथ शरीर के दूसरे अंग भी प्रभावित हो चुके होते हैं। इसके बाद यह लाइलाज हो जाता है। विश्व के किसी भी देश की अपेक्षा उत्तर भारत में इस रोग से ग्रसित लोगों की संख्या अभी सबसे ज्यादा है।
इतना ही नहीं उत्तर भारत में यूपी और बिहार में सबसे ज्यादा मामले गॉल ब्लाडर के कैंसर के हैं। यह कहना है डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के सर्जिकल विभाग के असोसिएट प्रफेसर का। संस्थान में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने बताया कि गॉल ब्लाडर का कैंसर यूपी और बिहार में सबसे ज्यादा हो रहा है।
यह भी देखा जा रहा है कि गंगा किनारे के शहरों में इसकी संख्या बहुत ज्यादा है। हालांकि इसका कारण क्या है इस बारे में अभी शोध पूरा नहीं हो पाया है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में गॉल ब्लाडर कैंसर ज्यादा पाया जा रहा है। वहीं यूपी में 18 वर्ष से ऊपर वालों को यह कैंसर हो रहा है। उन्होंने बताया कि संस्थान में कैंसर के आने वाले कुल मामलों में 20 प्रतिशत मामले गॉल ब्लाडर कैंसर के ही होते हैं।
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