बच्चों को रुक-रुककर पेशाब आना किडनी खराब होने के संकेत हो सकते हैं, क्योंकि यूरेटर के पास बना वॉल्व बहुत कमजोर हो जाता है। इस वजह से थोड़ी यूरिन किडनी में रुक जाती है। इसको दवा की एक डोज से ठीक किया जा सकता है। यह जानकारी डॉ. ने पीजीआई में इंटरनैशनल पिडियाट्रिक ऐंड एडलोसेंट यूरोलॉजी वर्कशॉप में दी।
उन्होंने ने बताया कि कई बच्चों में जन्म से यूरेटर और ब्लाडर के बीच में बना वॉल्व कमजोर होता है। इससे वॉल्व का रास्ता टेढ़ा हो जाता है। ऐसे में यूरीन गुर्दे में वापस चली जाती है। जिससे बच्चों को थोड़ी-थोड़ी पेशाब होती है। शुरुआत में बच्चों को इससे कोई दिक्कत नहीं महसूस होती है। इसलिए माता-पिता को भी इसकी जानकारी नहीं होती है। उन्होंने बताया कि पांच से छह वर्ष के होने के बाद लोग बच्चे के इलाज के लिए आते हैं।
ऐसे किया जाता है इलाज
उन्होंने बताया कि संस्थान में दूरबीन विधि से इसका इलाज किया जाता है। दवा की एक डोज वॉल्व में डाली जाती है। इससे वॉल्व मजबूत हो जाती है। इसके लिए मरीज को एक दिन भर्ती रखा जाता है। इलाज पर 45 से 50 हजार रुपये तक का खर्च आता है।
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