
भारतीय रिजर्व बैंक ने कोरोनावायरस के चलते देश में जारी लॉक डाउन के बीच माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां और बैंकों को बड़ी राहत देते हुए एक लाख करोड़ नगदी देने की व्यवस्था की है। इसका ऐलान रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत देसाई जी ने किया है। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने 50 हजार करोड़ रूपये टारगेटेड long-term रेपो ऑपरेशन के जरिए 50000 करोड़ सिस्टम में लाने का ऐलान भी जारी किया है। लेकिन इसे कई टुकड़ों में किया जाएगा। गवर्नर ने कहा कि हालातों की समीक्षा के बाद जरूरत हुई तो नगदी भी डाली जाएगी। जानकारी हो कि इस समय आर्थिक संकट के दौर में नकदी की काफी समस्या उत्पन्न हो रही है।
इस फैसले से बैंक और वित्तीय संस्थान फंड हासिल करेगी। और उससे एनबीएफसी माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूट तथा कंपनियों के इनवेस्टमेंट ग्रेड बॉन्ड में लगाएगी। इस तरह से छोटी वित्तीय संस्थानों और कॉर्पोरेट को पैसा मिलेगा। खास करके लघु वित्त संस्थानों को नगदी की काफी तंगी से गुजरना पड़ रहा है।
इस संकट के दौर में देश की इकोनॉमी बचाने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पूरी तरह से एक्टिव है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत देसाई 27 मार्च को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था। उन्होंने कहा है कि संकट की स्थिति में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पूरी तरह से एक्टिव है और वह इस मामले में पीछे बिल्कुल नहीं हटेगा।
आरबीआई के इस फैसले पर अमित शाह ने कहा कि आरबीआई और मोदी सरकार कोरोना के खिलाफ जंग में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। आने वाले समय में भी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए नए फैसले लिए जाएंगे। आरबीआई ने आज इसी पक्ष में एक बहुत बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा कि आरबीआई की आज की घोषणा से देश में नकदी का प्रवाह बढ़ेगा। ऋण आपूर्ति में सुधार होगा छोटे व्यवसायियों, किसान, गरीब आदमियों को इससे सबसे ज्यादा सुविधा मिलेगी।
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