हाल ही में हुए एक ताजा रिसर्च में यह पता चला है कि नींद आने की घातक बीमारी त्वचा के जरिए भी फैल सकती है।
शोध के अनुसार अफ्रीकी देशों में गंभीर समस्या बन चुकी नींद की यह बीमारी ट्रिपैनोसोम नाम के एक परजीवी से फैलती है, जिसके संचरण में त्वचा बहुत अहम भूमिका निभाती है।
समुचित इलाज न होने पर यह बीमारी घातक भी हो सकती है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, यह निष्कर्ष बीमारी के निदान, इलाज और संभावित उन्मूलन पर गहरा असर डाल सकता है।
इस बीमारी से उप-सहारा अफ्रीकी क्षेत्र में हर साल हजारों लोग काल के गाल में समा जाते हैं। यह प्रमुख रूप से मनुष्यों में संक्रमित सी-सी मक्खी के काटने से फैलता है। इसके संक्रमण का पता रक्त की जांच करने से चलता है।
एक शोध पत्रिका के ताजा अंक में यह अध्ययन प्रकाशित हुआ है, जिसमें कहा गया है कि ट्रिपैनोसोम्स की बीमारी पैदा करने वाली प्रचुर मात्रा त्वचा के अंदर मौजूद होती है, जो सीसी मक्खी द्वारा आसानी से फैल सकती है।
ब्रिटेन के ग्लास्गो विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता के अनुसार, “हमारे परिणामों का नींद की बीमारी के उन्मूलन में महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है। सबसे पहले हमारे रिजल्ट संकेत देते हैं कि मौजूदा निदान की विधियों, जिसमें रक्त में परजीवी की मौजूदगी की जांच शामिल है, का पुनर्मूल्यांकन किया जाना चाहिए। इसमें परजीवी की मौजूदगी की जांच के लिए त्वचा की जांच को भी शामिल की जानी चाहिए।”
शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि त्वचा में रहने वाले परजीवी त्वचा को आहार के रूप में खाकर सक्रिय बने रहते हैं, जिससे यह बीमारी को आगे फैलाने में भी सक्षम होते हैं।
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