Wednesday, August 12, 2020

छिलकों में सेब के मुकाबले पाए जाते है ज्यादा मात्रा में पोषक तत्व

कई फलों और सब्जियों को छिलके समेत खाना ही बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है। उन्हीं में से एक फल सेब भी है। सेब में फ्लेवनॉएड्स जैसे ऐंटि ऑक्सिडेंट्स, पोटैशियम और फाइबर भरपूर मात्रा में मौजूद होता है लेकिन इसके छिलकों में सेब के मुकाबले कहीं ज्यादा मात्रा में ये सब पाए जाते है|

इसलिए आप यह जान लें कि सेब का छिलका भी काफी फायदेमंद होता है। सेब को छिलके समेत खाने से आप दैनिक मिनरल्स की जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकते हैं। इलिनोइस यूनिवर्सिटी के अनुसार, सेब के छिलके में कैल्शियम, पोटैशियम, फास्फोरस, फोलेट और आयरन जैसे महत्वपूर्ण मिनरल्स मौजूद होते हैं।

आपका शरीर इन कैल्शियम और फास्फोरस जैसे मिनरल का प्रयोग हड्डियों और दांतों को बहुत ही मजबूत बनाने में करता है।

सेब के छिलके में हाई बीपी से मुकाबला करने के लिए जरूरी रसायनिक तत्वों की छह गुना मात्रा तक पायी जाती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि रोजाना एक सेब छिलका समेत खाते रहने से हाई बीपी में बहुत आराम मिलता है।

लंबे समय से सेब के छिलके को एंटीऑक्सिडेंट और फ्लेवानोइड्स का प्राकृतिक स्रोत भी माना जाता रहा है। जो दिल के लिए बहुत अच्छा माना जाता हैं। कनाडा के नोवा स्कोटिया के शोध अनुसार, सेब का छिलका उतारने का मतलब दिल को होने वाले फायदे से विल्कुल वंचित करना है।

छिलका सहित सेब खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होता है। इसमें खनिज, विटमिन और रेशा प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो कमजोरी में भी काफी फायदेमंद होता है। साथ ही सेब के छिलके में पैक्टिन नामक रसायन भी पाया जाता है जो कोलेस्ट्राल और रक्त शर्करा का स्तर बहुत ही कम रखता है।

अग्रीकल्चर ऐंड ऐग्रो फूड संस्थान कनाडा के वैज्ञानिकों के अनुसार, छिलके में भीतरी हिस्से की अपेक्षाकृत ऐंटी-आक्सिडेंट्स की मात्रा कहीं ज्यादा मौजूद होती है, इसलिए सेब खाते समय उसका छिलका उतारकर नहीं बल्कि छिलके सहित खाना बहुत ज्यादा फायदेमंद है। वैज्ञानिकों के अनुसार, सेब के लाल छिलके में ‘ऐंटी-ऑक्सिडेंटस’ की मात्रा काफी ज्यादा होती है। एंटी-ऑक्सिडेंट्स ऐसे रसायन हैं,

जो स्वास्थ्य को अच्छा एवं रोगमुक्त बनाने में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। सेब के छिलकों में विटमिन ए भरपूर मात्रा में होता है। सेब को हमें छिलकों समेत ही खाना चाहिए क्योंकि शरीर विटमिन ए का इस्तेमाल मजबूत नजर, आंखों के विकास और महत्वपूर्ण प्रकियाओं जैसे कोशिका विभाजन के रूप में काम करता है।

यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस के अनुसार, सेब के छिलके में विटमिन सी भरपूर मात्रा में होता है। आपका शरीर विटमिन सी का इस्तेमाल घावों को भरने और मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के निर्माण के लिए करता रहता है।



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दांपत्य जीवन को सुखद और बेहतर बनाता है ये फल

लोग स्टेमिना बढ़ाने के लिए कई दवाइयों का प्रयोग करते हैं। लेकिन, अब आप दवाओं को छोडक़र जूस से भी इस चीज को बढ़ा सकते हैं। अब आपको दवाई खाने की जरूरत नहीं। जी हां, आज हम आपको कुछ ऐसे फलों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके सेवन से आपको वायग्रा जैसी दवाईयों की कभी जरूरत नहीं पड़ेगी।

दरअसल, वियाग्रा जैसी दवाईयों को बनाने के लिए जिन तत्वों का इस्तेमाल होता है वे इन्हीं फलों से लिए जाते हैं। ऐसे में क्यों ना सीधे उन फलों का खाया जाए जो कामेच्छा को बढ़ाते हैं। जानिए वो कौन से फल हैं जो आपके दांपत्य जीवन को बेहतर बनाएंगे।

  • तरबूज

तरबूज में कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं लेकिन कई शोधों में साबित हुआ है कि तरबूज में कामेच्छा बढ़ाने की शक्ति होती है।

  • लहसुन

लहसुन भी यौनेच्छा इच्छा को बढ़ाता है। लहसुस में पाया जाने वाला नाइट्रिक ऑक्साइड एंजाइम सेक्सुअल पर्फामेंस के बढ़ता है।

  • नींबू

नींबू के रस में पाए जाने वाले तत्व कामेच्छा बढ़ाते हैं।

  • कद्दू

कद्दू के बीजों को सुखाकर इस्तेमाल करने से सेक्स लाइफ अच्छी होती है।

  • जिनसंग

शोध बताते हैं कि जो महिलाएं महीने में एक बार जिनसंग लेती है उनकी कामेच्छा में बढ़ोत्तरी देखी गई है जिससे उनकी सेक्स लाइफ बेहतर हुई। जिनसंग को पेरू राष्ट्र की वियाग्रा भी कहते हैं।

  • अदरक

पुराने समय में ही अदरक को प्रयोग कई तरह की औषधियों का प्रयोग होता था। इसको कच्चा प्रयोग करने से यौनेच्छा में बढ़ोत्तरी होती है।



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जानें, सरसों के तेल के फायदे

सेहत के लिए सरसों का तेल फायदेमंद होता है। वैसे तो सभी घरों में सरसों का तेल मिल जाएगा, लेकिन इसके फायदे बहुत कम लोग जानते है। सरसों का तेल खाने के स्वाद को बढ़ाता है। सरसों का तेल कई बीमारियों को दूर करने में सहायक होता है। यह हमारे स्वास्थ्य, स्किन और बालों के लिए बहुत लाभदायक है। इसे कई ऐसे फायदे है, जिनसे आप अनजान होंगे। चलिए आइए जानें सरसों के तेल के फायदे।

– कान का दर्द होगा दूर : कान मेें दर्द होने पर सरसों का तेल का इस्तेमाल कीजिए। इससे आपको राहत मिलेगी। इसके अलावा सरसों के तेल में लहसुन डाल कर गर्म करके कान में डाले।

-करें दांत साफ : सरसों के तेल में नमक मिलाकर दांत साफ कीजिए। इससे दांत दर्द, पायरिया आदि रोगों से आराम मिलता है।

-भूख बढ़ाएगा : अगर आपको भूख कम लगती है तो खाने में सरसों का तेल इस्तेमाल करें। यह हमारे पेट में एपिटाइजर का काम करता है और भूख बढ़ाता है।

-कैंसर की नहीं बनने देगा गांठ : सरसों के तेल में मौजूद ग्लुकोजिलोलेट शरीर में कैंसर और ट्यूमर की गांठ बनने से रोकता है।

-गठिया के दर्द में मिलेगा आराम : सरसों के तेल में कपूर डालकर मालिश करने से गठिया के दर्द से आराम मिलता है।

-चमकेगा चेहरा : बेसन,हल्दी, पीसा हुआ कपूर और सरसों का तेल डालकर चेहरे पर लगाएं। इससे चेहरे का रंग साफ होता है और त्वचा में चमक आती है।

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जूस से दवा लेना मरीज के लिए हो सकता है खतरनाक

अक्सर हम बीमार होने पर चाय, दूध अथवा पानी से दवा लेते हैं, इन केस में ऐसा भी होता है कि कई लोग जूस से भी दवा लेते हैं, लेकिन एक चौंकाने वाली एडवाइजरी में यह बात सामने आई है कि इस जूस से दवा लेना मरीज के लिए काफी घातक साबित हो सकता है।

इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए) की हालिया अडवाइजरी के मुताबिक, ऐसा करने से दवा का असर कम हो जाता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव व एचसीएफआई के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के. के. अग्रवाल के मुताबिक, अंगूर, संतरे और सेब का रस शरीर में दवाओं को सोखने की क्षमता को कम कर उनके शरीर पर पडऩे वाले असर को भी कम करता है।

अमेरिकन एकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियंस के डॉक्टरों ने कोलेस्ट्रोल, उच्च रक्तचाप और दिल की धडक़न की दवा लेने वाले मरीजों को, अंगूरों का रस न पीने की चेतावनी दी है। शोध में पता चला है कि अंगूर, संतरे व सेब का रस, कैंसर की दवा एटोपोफोस, बीटा ब्लॉकर दवा एटेनोलोल और एंटी ट्रांसप्लांट रिजेक्शन ड्रग सिस्लोस्पोरीन, सिप्रोफ्लॉक्सासिन, लिवोफ्लॉक्सासिन व इट्राकॉनाजोल जैसे एंटीबायोटिक्स का असर कम करता है।

डॉक्टरों द्वारा किए गए अध्ययन में शामिल वॉलेन्टियर्स ने एलर्जी की दवा, फेक्सोफेनाडाईन सादे पानी व अंगूर के रस के साथ ली। जिन लोगों ने दवाई अंगूर के रस के साथ ली थी, उनके शरीर में केवल आधी दवाई ने ही असर किया। रस में मौजूद तत्व दवा के सोखने की क्षमता को प्रभावित करते हैं।

कुछ रसायन दवा को ले जाने वाले तत्वों को बाधित कर देते हैं, जिससे दवा के सोखने की क्षमता कम हो जाती है। जबकि कुछ रसायन ड्रग्स मेटाबॉलिज्म एंजाइम, जो आम तौर पर दवा को तोडऩे का काम करते हैं, उन्हें बाधित कर देते हैं।

डॉक्टर्स का कहना है कि अगर मरीज दवाई पानी के साथ ले रहा है, तो यह काफी सुरक्षित है। इसके अलावा ध्यान रखें कि हमेशा दवाई एक घूंट पानी की जगह एक ग्लास पानी से लें, क्योंकि ऐसा करने से पानी, पेट में दवा को घुलने में मदद करता है। ठंडे पानी की बजाए गर्म पानी से दवाई लेना और भी बेहतर विकल्प है।



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खांसी को दूर करने के सबसे बेस्ट घरेलू नुस्खे

खांसी की समस्या बेहद आम है। अगर आप भी खांसी से परेशान हैं तो आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं जो आपकी खांसी को पल भर में ठीक कर देंगे-

  • बार-बार खांसी आ रही हो तो आप अदरक-शहद वाली टाॅफी को मुंह में रखें। इससे आपको काफी लाभ होगा।
  • कभी-कभी इंफेक्शन के कारण भी खांसी की समस्या हो जाती है। ऐसे में हल्दी वाला दूध आपके लिए काफी लाभकारी होगा।
  • लौंग को भूनकर उसका सेवन तुलसी के पत्तों के साथ भी कर सकते हैं। आराम आएगा।


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ब्रेन ट्यूमर के कारण भी आ सकती है ज्यादा उबासी

सामान्यतः हम मानते हैं कि उबासी या जम्हाई लेना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है, हम दिन में कम से कम एक बार उबासी या जम्हाई जरूर लेते हैं। लोग यह मानते हैं की उबासी शरीर में थकान महसूस होने के कारण आती है, थोड़ी देर सोकर इसे पूर्ण्तः दूर किया जा सकता है।

आपको यह जानकर बहुत आश्चर्य होगा कि कभी-कभार उबासी लेना बहुत ही सामान्य है लेकिन ज्यादा उबासी लेना खतरे की घंटी है।

उबासी बहुत ही सामान्य बात है लेकिन अत्यधिक उबासी कुछ चिकित्सीय स्थितियों की ओर इशारा करती है। कुछ सामान्य चिकित्सीय स्थितियां हैं जो कि ज्यादा उबासी का कारण बनती है:

  • लिवर डिसीज

लिवर संबंधित बीमारी का आखिरी स्टेज अत्यधिक उबासी के रूप में हो सकता है। इस समय महूसस होने वाली थकावट इसके लिए पूर्ण्तः जिम्मेदार है।

  • मल्टीपल स्केलेरोसिस

एक स्टडी के मुताबिक जो लोग इस स्थिति से पीड़ित हैं, उन्हें अत्यधिक उबासी आती है। इससे पीड़ित लोगों में थर्मोरगुलेटरी डिसफंक्शन होता है जहां वे अपने शरीर के तापमान को पूर्ण्तः नियंत्रित करने में असमर्थ होते हैं। उबासी के कारण शरीर का तापमान ठंडा हो जाता है।

  • वासोवगल रिएक्शन

यह तब होता है जब नर्वस सिस्टम का हिस्सा जो कि ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट के लिए पूर्ण्तः जिम्मेदार है, गड़बड़ाता है। यह तब होता है जब आप अत्यधिक तनावपूर्ण स्थिति में होते हैं। ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट में गिरावट ब्लड को मस्तिष्क तक पहुंचने से रोकती है। ऐसी स्थिति में, शरीर स्वचालित रूप से उबासी लेकर ऑक्सीजन लेने की कोशिश करता है।

  • स्लीपिंग डिसऑर्डर

अनिद्रा या स्लीप एपेना सबसे आम स्लीप डिसऑर्डर्स हैं जो कि बहुत अधिक थकावट लाते हैं और इससे उबासी की परेशानी बढ़ जाती है।

  • ब्रेन डिसफंक्शन

स्टीडी के मुताबिक ब्रेन ट्यूमर के कारण अत्यधिक उबासी आती है और ब्रेन स्टेम में घावों से जोड़ा जा सकता है। पिट्यूटरी ग्लैंड के संपीडन का परिणाम भी उबासी के रूप में हो सकता है।



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खांसी को दूर करने के सबसे बेस्ट घरेलू नुस्खे

खांसी की समस्या बेहद आम है। अगर आप भी खांसी से परेशान हैं तो आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं जो आपकी खांसी को पल भर में ठीक कर देंगे-

  • बार-बार खांसी आ रही हो तो आप अदरक-शहद वाली टाॅफी को मुंह में रखें। इससे आपको काफी लाभ होगा।
  • कभी-कभी इंफेक्शन के कारण भी खांसी की समस्या हो जाती है। ऐसे में हल्दी वाला दूध आपके लिए काफी लाभकारी होगा।
  • लौंग को भूनकर उसका सेवन तुलसी के पत्तों के साथ भी कर सकते हैं। आराम आएगा।


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