
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कॉमरेड एबी वर्धन पर आयोजित स्मृति व्याखान ने देश की न्यायपालिक ओर सेना को लेकर अपने विचार रखे। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने न्यायापालिका पर अपने विचार रखते हुए कहा कि न्यायपालिका के लिये यह चीज अहम है कि वह संविधान में शामिल धर्मनिरपेक्षता को लेकर अपनी जिम्मेदारी को बनाए रखे, न्यायापालि को इस स्वरूप को बनाए रखना चाहिए। साथ ही मनमोहन ने राजनीति पर भी चर्चा की।
राजनीति पर अपने विचार रखते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि राजनीतिक विरोध और चुनावी मुकाबलों में धर्मिक तत्वों, प्रतीकों, मिथकों और पूर्वाग्रहों की मौजूदगी भी काफी अधिक बढ़ गयी है.’’ डॉ. सिंह ने कहा कि सैन्य बलों को भी धार्मिक अपीलों से खुद को अछूता रखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल भारत के खूबसूरत धर्मनिरपेक्ष स्वरूप का अभिन्न हिस्सा हैं। इसलिये यह बेहद जरूरी है कि सशस्त्र बल स्वयं को सांप्रदायिक अपीलों से अछूता रखें। मनमोहन सिंह ने कहा कि देश के सभी संवैधानिक हिस्सों में धर्मनिरपेक्षता बनाए रखना जरूरी है, क्योंकि हमारे देश की यह बड़ी पहचान और हमारे संविधान की पहचान का स्वरूप है।
इसके अलावा मनमोहन सिंह ने 1992 बाबरी मस्जिद कांड जिक्र भी किया। मनमोहन ने कहा कि इस घटना से हमारी धर्मनिरपेक्ष परंपरा के खिलाफ थी। इस घटना से धर्मनिरपेक्ष प्रतिबद्धताओं को आघात पहुंचा।
मनमोहन ने सामाजिक भेदभाव पर भी निशाना साधते हुए कहा कि भेदभाव एकमात्र आधार धर्म नहीं है। कभी कभी जाति, भाषा और लिंग के आधार पर छुआछूत से पीडि़त असहाय लोग हिंसा, भेदभाव और अन्याय का शिकार हो जाते हैं।
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