राफेल डील को लेकर भले ही विपक्ष मोदी सरकार को घेरे हुए है लेकिन, ऐसे में मोदी सरकार का कुछ बिगाडऩे के बजाय विपक्ष खुद ही फूट का शिकार हो गया। देश के कई राज्यों में एनसीपी की उपस्थिति है। ऐसे में शरद पवार का राष्ट्रीय राजनीति में खासा दखल है। लेकिन, शरद पवार के लिए तारिक अनवर का जाना किसी झटके से कम नहीं है, क्योंकि तारिक अनवर का बिहार में खासा प्रभाव है और उनके दम पर पार्टी बिहार में एक सीट पर भी पकड़ बनाए हुए है। ऐसे में तारिक अनवर का पार्टी से चले जाना पार्टी के लिए नुकसान दे ही साबित होगा।
तारिक अनवर 2014 से बिहार राज्य की कटिहार लोकसभा सीट से सांसद हैं। वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं। वे पूर्व में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्यसभा के सदस्य भी थे। वह यूपीए 2 में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। वह कटिहार निर्वाचन क्षेत्र से कई बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं।
तारिक अनवर का जन्म 16 जनवरी 1951 को बिहार के पटना में हुआ था। उनके पिता का नाम शाह मुश्ताक अहमद था और मां बिल्किस जहां थीं। उनकी शादी हेना अनवरंद से हुई और उनकी चार बेटियां और एक बेटा है।
तारिक अनवर ने अपने राजनीतिक करियर को बहुत कम ही आयु में शुरू कर दिया था। वह 1976 से 1981 तक बिहार प्रदेश युवा कांग्रेस (आई) के अध्यक्ष थे। वह 1982 से 1985 तक भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे। वह 1988 से 1989 तक बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे। बाद में उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया और 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए।
सन् 1999 में सोनिया गांधी के खिलाफ उनके विद्रोह (विदेशी मूल के मुद्दे ) के कारण उनके राजनीतिक करियर में एक बड़ा मोड़ आया। वह तब कटिहार के लोकसभा सदस्य थे और कांग्रेस मुख्यालय नई दिल्ली में दूसरे सबसे शक्तिशाली व्यक्ति के रूप में भी जाने जाते थे।
वह बिहार से लोकसभा चुनाव के कई बार विजेता थे। शरद पवार ने उन्हें महाराष्ट्र से 2004 में राज्य सभा का सदस्य बना दिया। यह राज्यसभा में उनका दूसरा कार्यकाल था और वर्तमान में वे कटिहार लोकसभा सीट से सांसद है।
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