प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज गुजरात के नर्मदा जिले स्थित केवडिय़ा में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा जिसका नाम ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ है, का उद्घाटन करेंगे। यह विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ने चीन स्थित स्प्रिंग टेंपल की 153 मीटर ऊंची बुद्ध प्रतिमा को पछाड़ दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति का रिकॉर्ड बनाया है।
182 मीटर ऊंचे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का आकार न्यूयॉर्क के 93 मीटर उंचे स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुना है।
प्रतिमा का निर्माण लार्सन एंड टुब्रो कंपनी ने किया है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ने निर्माण समय में भी रिकॉर्ड बनाया है।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी मात्र 33 माह में बनकर तैयार हो गई।
वहीं चीन की स्प्रिंग टेंपल के बुद्ध की मूर्ति के निर्माण में 11 साल का वक्त लगा था।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का कुल वजन 1700 टन है।
ऊंचाई 522 फिट यानी 182 मीटर है।
इसके पैर की ऊंचाई 80 फिट, हाथ की ऊंचाई 70 फिट, कंधे की ऊंचाई 140 फिट और चेहरे की ऊंचाई 70 फिट है।
सरदार पटेल की यह मूर्ति राम वी. सुतार की निगरानी में हुई है।
सुतार मुंबई के समुंदर में लगने वाली शिवाजी की प्रतिमा की डिजाइन भी तैयार करने में जुटे हैं।
सरदार पटेल की इस मूर्ति को बनाने में करीब 2,989 करोड़ रुपये का खर्च आया।
कंपनी के मुताबिक, मूर्ति के ऊपरी हिस्से पर कांसे की परत चढ़ाई गई है।
यह प्रतिमा नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध से 3.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इस स्मारक की आधारशिला 31 अक्तूबर, 2013 को पटेल की 138 वीं वर्षगांठ के मौके पर
रखी गई थी, जब पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
सरदार पटेल की मुख्य प्रतिमा बनाने में1,347 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
235 करोड़ रुपये प्रदर्शनी हॉल और सभागार केंद्र पर खर्च किये गये हैं।
वहीं 657 करोड़ रुपये निर्माण कार्य पूरा होने के बाद अगले 15 साल तक ढांचे के रखरखाव पर खर्च किए किए जाएंगे।
83 करोड़ रुपये पुल के निर्माण पर खर्च किये गये।
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