WHO ने यह कहा कि भारत में 13-15 साल के उम्र के हर चार बच्चे में से लगभग एक बच्चा डिप्रेशन से पूरी तरह ग्रस्त है जबकि दक्षिण-पूर्व एशिया में लगभग 8.6 करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में हैं।
भारत में सबसे ज्यादा सुसाइड-
डब्ल्यूएचओ ने यह भी बताया कि 10 दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में सर्वाधिक आत्महत्या दर भारत में है। उसने ‘दक्षिण पूर्व एशिया में किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति, कार्रवाई का सबूत’ नामक रिपोर्ट जारी किया जो कहती है कि 2012 में भारत में 15-29 साल उम्रवर्ग के प्रति एक लाख व्यक्ति पर आत्महत्या दर 35.5 था। इस उम्रवर्ग में प्रति एक लाख लोगों पर अनुमाति आत्महत्या दर इंडानेशिया में 3.6 से लेकर नपेाल में लगभग 25.8 है।
डिप्रेशन आत्महत्या का कारण- डब्ल्यूएचओ की दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र की निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि डिप्रेशन आत्महत्या का कारण बन सकता है और इस क्षेत्र में 15 से 29 वर्ष की उम्र के लोगों के बीच मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण आत्महत्या है. डिप्रेशन से संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं को ऐसा बनाना चाहिये जो आसानी से लोगों की पहुंच में हो और उच्च गुणवत्ता की हो।
डिप्रेशन के लक्षण-
डिप्रेशन के संकेतों और लक्षणों में ठीक से नींद ना आना, कम भूख लगना, अपराध बोध होना, आत्मविश्वास में कमी, थकान महसूस होना और सुस्ती शामिल हैं। उत्तेजना या शारीरिक व्यग्रता, मादक पदार्थों का सेवन करना, एकाग्रता में कमी और खुदकुशी करने का ख्याल आना भी इसके लक्षण हैं।
डिप्रेशन का इलाज-डिप्रेशन से गुजर रहे लोगों के लिए इससे उबरने के लिए नियमित तौर पर ऐसे व्यक्ति से बात करना जिनपर वे भरोसा करते हो या अपने प्रियजनों के संपर्क में रहना मददगार हो सकता है। शराब और नशीले पदार्थों से दूर रहकर डिप्रेशन से बचा जा सकता है। लेकिन कई लोग इस स्थिति से निपटने के लिए पेशेवरों की मदद लेना महत्वपूर्ण समझते हैं।
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