Friday, May 1, 2020

जानिए, कैसे करें नवग्रहों की पूजा?

सृष्टि को सुचारु रूप से चलाने के लिए परमेश्वर ने नवग्रहों की रचना की। इनमें सम्मिलित है-मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, सूर्य, चन्द्रमा, राहु और केतु। ये सभी ग्रहव्यक्ति को उनके कर्म अनुसार फल देते है और इनमे कोई भी बुरा नहीं होता है। जिस प्रकार हम सब अपनी जिम्मेदारियों को निभाते रहते है उसी प्रकार ये भी केवल अपनी ड्यूटी निभाते है। ये सब ग्रह हमारे कर्म के अनुसार फल देते है। इसीलिए हमे इन सभी ग्रहो की सामान भाव से पूजा करनी चाहिए।

यदि इन नौ ग्रहो की एक साथ पूजा की जाए तो उसे नवग्रह की पूजा कहा जाता है। जब हमारी कुंडली में इन ग्रहो के नकारात्मक प्रभाव पड़ने लग जाते है तो हमे इस नवगृह पूजन को करवा लेना चाहिए। ऐसा करने से इन नौ ग्रहो के नकारात्मक प्रभावों को कम भी किया जा सकता है और इनसे जुड़े शुभ फल भी प्राप्त किए जा सकते है। इनमे से हर एक ग्रह के अलग-अलग बीज मंत्र होते है और पूजा के समय इन मंत्रो का भी जाप किया जाना चाहिए।

नवगृह पूजन की विधि

शास्त्रों के अनुसार भगवन शिव के साथ ही नवगृह पूजन किया जाता है। इसकी विधि के अनुसार हमे एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाना चाहिए। उसके बाद इन नवग्रहों का आह्वाहन कर इनकी स्थापना चौकी की जनि चाहिए। स्थापना करते समय इनके बीज मंत्रो का भी उच्चारण किया जाना चाहिए। आइए, जानते है इन बीजमंत्रों को

सूर्य ग्रह
ॐ हृां हीं सः सूर्याय नमः

चंद्रमा ग्रह
ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः

मंगल ग्रह
ॐ क्रां क्रीं क्रों सः भौमाय नमः

बुध ग्रह
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रों सः बुधाय नमः

गुरु ग्रह
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों सः गुरुवै नमः

शुक्र ग्रह
ॐ द्रां द्रीं द्रों सः शुक्राय नम:

शनि ग्रह
ॐ प्रां प्रीं प्रों सः शनैश्चराय नम:

राहु ग्रह
ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों सः राहवे नमः

केतु
ॐ केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे



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