
कोरोना संक्रमण के इलाज में टीबी वैक्सीन से कुछ राहत की उम्मीदे दिखाई दे रही है। अमेरिका की टैक्सास एएंडएम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने फैसला किया है कि कोरोना वायरस पर प्रभाव की जांच के अंतिम चरण में आगामी सप्ताह में इंसानों पर टीबी वैक्सीन का परीक्षण किया जाएगा। शोधकर्ताओं ने करीब 1800 अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों को इस वैक्सीन के इंसानों पर प्रभाव की जांच के लिए स्वयंसेवक के तौर पर आमंत्रित किया है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक बीसीजी (बैसिल्यूस कैलमैट-गुअेरिन) के टीके की मदद से इम्यून सिस्टम में वृद्धि कर कोरोना संक्रमण के प्रभाव को रोका जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है इस टीके के लगने के बाद कोरोना संक्रमण के कारण बहुत कम लोगों के अस्पतालों में भर्ती होने या मरने की संभावना रहती है। यूनिवर्सिटी का कहना है कि बीसीजी को कोरोना वायरस के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए महज छह महीने में पूरी दुनिया में उपलब्ध कराया जा सकता है।
यूनिवर्सिटी के हेल्थ साइंस सेंटर के प्रोफेसर ऑफ माइक्रोबायल पैथोजेनेसिस एंड इम्यूनोलॉजी डॉ. जेफ्रे डी सिरिलो कहते है कि कोरोना की सेपरेट वैक्सीन बनने में लंबा समय लग रहा है। इसी बीच कोरोना संक्रमण के पभाव को कम करने के लिए बीसीजी इस्तेमाल किया जा सकता है। ताकि कोरोना संक्रमन का प्रभाव कम हो सके और वैक्सीन विकसित करने के लिए थोड़ा और समय मिल जाए।
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