राजस्थान के जयपुर स्थित ऐसा एक पर्यटक स्थल है हवामहल जो दुनिया के पर्यटन मानचित्र मे दर्ज है और राजस्थान के साथ-साथ देश की शान बढ़ाता है। जयपुर के चारदिवारी क्षेत्र का केंद्र कहलाने वाला बड़ी चौपड़ पर यह महल स्थित है। इस महल से कुछ दूरी पर ही जयपुर रियासत के राजघराने के लोग अपने निजी पैलेस में रहते हैं। यहां दिनभर देशी और विदेशी पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। हवा महल जयपुर की पहचान भी बन चुका है। हवा महल को जयपुर का फेस यानि चेहरा भी कहा जाता है। इसका निर्माण सन 1798 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था। इसे वास्तुकार लाल चंद उस्ता द्वारा डिजाइन किया गया था।
इसमें पांच मंजिल हैं, इर मंजिल पर झरोखे बने हुए हैं जो चौपड़ की तरफ वाले हिस्से पर खुलते हैं। इन झरोखों के पास बैठने पर आने वाली ठंडी हवा ही इस महल को अनोखा ओर रहस्यमीय बनाती है। महल में ऐसे 953 झरोखे (जालियां) हैं जो बहुत बारिकी से डिजाइन हुई हैं।
इन जालियों का डिजाइन देखकर आपको राजसी शान और महान राजपूताना इतिहास की अनुभूति होगी। पूरे महल में जगह-जगह नक्काशी और बारिक डिजाइनदार फूल और तस्वीरें बनी हुई हैं। झरोखें में लगी महराबें और बाहर लगे कलश महल की शान बढ़ाते हैं जो दूर से ही देखने पर एक राजसी ठिकाने का अहसास कराते है।
पूरा महल गुलाबी रंग से रंगा हुआ जो जयपुर की पहचान है। जयुपर को गुलाबी नगर भी कहा जाता है। जयपुर का पूरा चार दिवारी क्षेत्र गुलाबी रंग से रंगा हुआ है, चार दिवारी क्षेत्र हैरिटेज विरासत घोषित है।
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