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केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दिए गए अपने बयान पर सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि पारसी से शादी होने बाद भी उन्हें फायर टेंपल में जाने की इजाजत नहीं मिलती है , पर इस फैसले का वह सम्मान करती हैं.केंद्रीय मंत्री ईरानी ने पहले कहा था कि पीरियड्स के दौरान महिलाएं पैड लेकर दोस्त के घर नहीं जातीं तो भगवान के घर कैसे जा सकती हैं। इस बयान पर विवाद होने के बाद उन्होंने अपनी सफाई दी है। ईरानी ने ट्विटर पर लिखा कि ये फेक न्यूज है और वो जल्द ही इसका वीडियो पोस्ट करेंगी।
बाद में स्मृति ईरानी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक वीडियो डाला। वीडियो में वह बता रही हैं कि कैसे एक फायर टेंपल में धार्मिक रीति-रिवाज की वजह उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया गया था और उन्हें बाहर खड़ा होना पड़ा था। पारसी बच्चों की मां होने के नाते उन्होंने पारसी समुदाय की भावनाओं का खयाल किया और कोर्ट कचहरी नहीं गई। सप्रीम कोर्ट के आदेश पर 10 से 50 साल (रजस्वला आयु वर्ग) आयु की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध हटाए जाने के बाद सबरीमाला मंदिर के कपाट सभी आयु की महिलाओं के लिए खोल दिए गए थे। हालांकि इसके विरोध में कई हिंदुवादी संगठन परंपरा पर हमला बता कर प्रदर्शन करते रहे। 10-50 आयुवर्ग की महिलाओं ने मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचने का प्रयास भी किया लेकिन इन्हें रोक दिया गया।
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