पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने कहा है कि भाजपा सरकार की लापरवाही एवं मिलीभगत के कारण प्रदेश में बजरी माफिया के हौसलें बुलन्द है। एक तरफ अवैध बजरी खनन की रोकथाम से जुड़े सरकारी अमले पर लगातार हमले किये जाने की घटनायें घटित हो रही है, वहीं दूसरी ओर निर्माण कार्यो के लिये बजरी खरीदने की मजबूरी के कारण आम जनता इनके हाथों लुटी जा रही है। इन हालातों के बावजूद राज्य सरकार आंख मूंदे बैठी हुई है।
गहलोत ने कहा कि चम्बल और बनास नदी सहित प्रदेशभर में अवैध बजरी खनन का कारोबार तेजी से बढ़ता जा रहा है। अब तक जनता से बारह हजार करोड़ रूपये से अधिक की लूट हो चुकी है। प्रदेश में रोजाना लगभग पांच से सात हजार ट्रक बजरी की खपत होती है।
जयपुर में सात आठ हजार रूपये में उपलब्ध होने वाला बजरी का ट्रक बजरी माफियाओं द्वारा तीस-चालीस हजार रूपये में बेचा जा रहा है। बजरी माफियाओं द्वारा कहीं सरपंच की हत्या की गई तो कहीं पुलिस प्रशासन एवं खनिज विभाग के अधिकारियों पर भी हमले किये गये।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में सशक्त पैरवी नहीं करने की वजह से प्रदेश में बजरी खनन का संकट उत्पन्न हुआ है। करीब 25 लाख से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गये है।
गहलोत ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने बजरी माफियाओं के साथ सरकार की मिलीभगत को लेकर तीखी टिप्पणी की है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय ने नदियों में हुये खनन कार्य के प्रतिस्थापन्न एवं पर्यावरणीय अध्ययन के निर्देश दिये थे किन्तु राज्य सरकार द्वारा माननीय न्यायालय की मंशा के अनुरूप पर्यावरणीय अध्ययन की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गयी।
यदि माननीय न्यायालय के निर्देशानुसार यह समय पर मंशा के अनुरूप प्रस्तुत कर दी जाती तो वैद्यानिक तरीके से खनन की अनुमति मिल सकती थी।
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